छत्तीसगढ़

रखवाली की, पैसे जमा किए… विनेश फोगाट के लिए 10 साल के बच्चे ने 13 घंटों तक की कड़ी मेहनत

नईदिल्ली : पेरिस ओलंपिक में दमदार प्रदर्शन के बावजूद विनेश फोगाट को बिना मेडल के देश वापस लौटना पड़ा था. हालांकि, डिस्क्वालिफाई होने के बावजूद उन्होंने मेडल के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन वो काम नहीं आई. ऐसे में भारतीय पहलवान काफी दुखी थीं. कड़ी मेहनत और जज्बे के बावजूद खाली हाथ लौटने से वो उदास थीं. पेरिस से उन्होंने भारी मन से विदाई ली थी. उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि भारत लौटने पर उनका स्वागत एक चैंपियन की तरह किया जाएगा. 17 अगस्त की सुबह जब वो दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरीं, तो ढोल-बाजे के साथ सैकड़ों लोगों ने विनेश का वेलकम किया. इतना प्यार देखकर वो भावुक होकर रोने लगीं. हालांकि, दूसरी तरफ उनके गांव बलाली में 10 साल का एक ऐसा भी बच्चा था, जिसने उनके सम्मान समारोह के लिए दिन भर कड़ी मेहनत की.

13 घंटों तक करता रहा काम

विनेश के स्वागत में भव्य कार्यक्रम की तैयारी की गई थी. दिल्ली से लेकर उनके गांव तक उत्सव का माहौल था. उन्हें दिल्ली से द्वारका एक्सप्रेसवे होते हुए अपने गांव पहुंचना था. उनके गांववालों ने चंदा जमा करके एक भव्य सम्मान समारोह की तैयारी की थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस कार्यक्रम के लिए करीब 750 किलोग्राम देसी घी के लड्डू बनाए गए थे. वहीं इस इस कार्यक्रम में आने वाले लोग अपनी श्रद्धा अनुसार चंदा भी दे रहे थे. इन सभी चीजों की देखरेख की जिम्मेदारी 10 साल के अंशज कुमार को दी गई थी.

दिल्ली से बलाली की दूरी करीब 135 किलोमीटर है और वहां तक पहुंचने में लगभग 3.30 घंटे का समय लगता है. लेकिन बड़े काफिले के साथ रोड शो के कारण विनेश को इसे तय करने में करीब 13 घंटे लग गए. भारतीय पहलवान सुबह 11 बजे दिल्ली एयरपोर्ट से निकली थीं और उन्हें अपने गांव पहुंचने में आधी रात हो गई. इस दौरान अंशज मंदिर में लड्डू की रखवाली करता रहा. साथ ही विनेश के लिए बने स्टेज के कोने में बैठकर अपनी स्कूल की नोटबुक में चंदा का हिसाब भी लिखता रहा.

जब अंशज से विनेश के बाहर होने पर सवाल किया गया तो उसने कहा कि “दीदी तो हमारे लिए गोल्ड हैं. वो जब भी जीता करती थीं, हम सभी को लड्डू मिलता था. उनका बाहर होना हमारे लिए काफी हैरान करने वाला था. हमारे लिए वो ओलंपिक की विजेता हैं और ये बात मैं उन्हें बताना चाहता हूं.”

गांववालों ने क्या-क्या दिए?

विनेश के गांव के लोगों ने अपने सामर्थ्य अनुसार चंदे के पैसे दिए. गांव के गार्ड ने 100 रुपए दिए. इस दौरान वो विनेश के संघर्ष को याद करते हुए रो पड़े. वहीं किसी ने उन्हें पगड़ी भेंट की, तो किसी ने तलवार. बता दें विनेश को गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया गया.