नईदिल्ली : चंद्रयान-3 पिछले साल 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरा था. केंद्र सरकार ने इस साल से हर 23 अगस्त को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया. केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने चंद्रयान-3 को महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दो और चंद्र मिशनों (चंद्रयान 4 और 5) की तैयारी में जुट गया है.
पहले अंतरिक्ष दिवस के कर्टेन रेजर के अवसर पर मीडिया से बातचीत में करते हुए डॉ. सिंह ने कहा, चंद्रयान-3 एक प्रमुख उपलब्धि थी और अब चंद्रयान-4 और 5 का प्रक्षेपण किया जाएगा. एक साल पहले भारत चंद्रमा पर यान उतारने वाला दुनिया का चौथा और इसके दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बना था.
जानिए चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन को
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन की तैयारी मेंं जुटा है चंद्रयान-4 का लक्ष्य चंद्रमा से महत्वपूर्ण नमूनों को वापस लाना है. जबकि चंद्रयान-5, JAXA के सहयोग से, चंद्रमा के छाया वाले क्षेत्रों का पता लगाएगा.
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मंगलवार को कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी ने अगले चरण के चंद्र मिशन – चंद्रयान 4 और 5 के लिए डिजाइन पूरा कर लिया है और इस सिलसिले में सरकार से मंजूरी लेने की प्रक्रिया में जुटी हुई है. चंद्रयान-4 मिशन में चंद्रमा की सतह पर सहजता से उपकरण उतारने के बाद पृथ्वी के इस उपग्रह की चट्टानों और मिट्टी को धरती पर लाना, चंद्रमा से एक अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित करना, चंद्रमा की कक्षा में अंतरिक्ष ‘डॉकिंग’ प्रयोग का प्रदर्शन करना और नमूनों को वापस लाना शामिल है.
इसरो जारी कर सकता है तस्वीरें
23 अगस्त को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के मौके पर इसरो चंद्रयान-3 मिशन से जुड़ी कुछ तस्वीरों को जारी कर सकता है. वैसे तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर @ISROSpaceflight नाम के हैंडल से चंद्रयान-3 मिशन और चांद की सतह की कुछ तस्वीरों को पोस्ट किया गया है. हालांकि, इसरो की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.
भारत का ‘मून मिशन’
इसरो के अधिकारियों ने कहा था कि चंद्रयान-4 मिशन का लक्षित प्रक्षेपण वर्ष 2028 है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने यह भी कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी अगले पांच वर्षों में 70 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की योजना बना रही है, जिसमें सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा के लिए उपग्रहों का एक समूह भी शामिल है.
उन्होंने कहा कि इन 70 उपग्रहों में ‘नाविक’ क्षेत्रीय दिशा सूचक प्रणाली के लिए चार उपग्रह शामिल हैं जो अवस्थिति निर्धारण, दिशा सूचना सेवा प्रदान करेंगे. साथ ही, इनसैट 4डी मौसम उपग्रह, रिसोर्ससैट श्रृंखला के उपग्रह, रिमोट सेंसिंग और उच्च रिजोल्यूशन इमेजिंग के लिए कार्टोसैट उपग्रह शामिल हैं.