छत्तीसगढ़

अनिल के बाद अब मुकेश अंबानी को लगा झटका, आई ये बड़ी आफत

नईदिल्ली : 23 अगस्त का दिन अंबानी परिवार के लिए काफी खराब साबित हुआ है. सुबह अनिल अंबानी पर सेबी ने 5 साल के लिए बैन लगा दिया था. अब मुकेश अंबानी को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. रिलायंस रिटेल का ब्रिटिश फुटवियर कंपनी क्लार्क्स के साथ दो साल पुराना ज्वाइंट वेंचर अब खत्म हो गया है. माडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों भागीदारों के बीच कुछ शर्तों को लेकर मतभेद उभरने के बाद उन्होंने संयुक्त उद्यम क्लार्क्स रिलायंस फुटवियर प्राइवेट लिमिटेड से अलग होने का फैसला किया है.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस संबंध में रिलायंस रिटेल कोई टिप्पणी नहीं की है. क्लार्क्स की भारतीय वेबसाइट के मुताबिक, क्लार्क्स रिलायंस फुटवियर प्राइवेट लिमिटेड ने नयी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, लखनऊ, हैदराबाद और चेन्नई में 30 से अधिक स्पेशल स्टोर संचालित किए थे.

अब बंद हो जाएंगे ये स्टोर

बताया जा रहा है कि इस ज्वाइंट वेंचर से साझेदारों के अलग हो जाने के बाद ये सभी स्टोर अब बंद हो रहे हैं. रिलायंस रिटेल से पहले क्लार्क्स की फ्यूचर समूह के साथ साझेदारी थी. इसने फ्यूचर समूह के साथ 50:50 ज्वाइंट वेंचर सौदे के साथ भारत में प्रवेश किया था. हालांकि, फ्यूचर समूह के वित्तीय मुश्किलों में घिरने के बाद संयुक्त उद्यम क्लार्क्स फ्यूचर फुटवियर को समाप्त कर दिया गया था.

इतनी हुई थी कमाई

क्लार्क्स ने रिलायंस रिटेल की एक यूनिट रिलायंस ब्रांड्स लिमिटेड (आरबीएल) के साथ भी साझेदारी की है, जो कई विदेशी भागीदार ब्रांड के साथ काम करती है. अरबपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की खुदरा इकाई रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2023-24 में तीन लाख करोड़ रुपये का रेवेन्यू अर्जित किया था.

कल सुबह अनिल अंबानी को लगा था झटका

23 अगस्त की सुबह अनिल अंबानी के लिए बेहद खराब रहा है. सेबी ने फंड डायवर्जन के आरोप में उनको सिक्योरिटी मार्केट से 5 साल के लिए बैन कर दिया है. साथ में जुर्माना भी लगाया है. 22 पन्नों के आदेश में अनिल अंबानी और उनकी कपंनी पर कई आरोप लगाए गए है. इसमे सबसे बड़ा रोल गलत तरीके से फंड को डायवर्ट करने का है.

सेबी ने अपने आदेश में कहा है कि अनिल अंबानी ने आरएचएफएल के प्रमुख मैनेजमेंट कर्मियों की मदद से आरएचएफएल से फंड निकालने के लिए एक धोखाधड़ी योजना बनाई थी, जिसे उन्होंने अपने से जुड़ी संस्थाओं को लोन के रूप में छिपाकर रखा था. हालांकि आरएचएफएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने इस तरह के लोन देने के तरीकों को रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए थे और नियमित रूप से कॉर्पोरेट लोन की जांच की थी, लेकिन कंपनी के मैनेजमेंट ने इन आदेशों को नजरअंदाज किया. इससे पता चलता है कि शासन में महत्वपूर्ण विफलता है, जो अनिल अंबानी के प्रभाव में किया गया है.