नईदिल्ली : भारत में बहुत लंबे अरसे से क्रिकेट खेला जा रहा है और 1971 में इतिहास का पहला वनडे मैच खेला गया तो क्रिकेट के खेल को बदलावों की भी जरूरत थी. दरअसल बहुत लंबे समय तक इंग्लैंड ने क्रिकेट में दबदबा बनाकर रखा था, लेकिन इस बीच 1979 में जगमोहन डालमिया ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को ज्वाइन किया. डालमिया ने भारत में क्रिकेट प्रक्रिया में बड़े बदलाव लाने शुरू कर दिए थे और वो आगे चलकर बीसीसीआई के प्रेसिडेंट भी बने.
भारत ने वेस्टइंडीज, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के होते हुए 1983 में वर्ल्ड कप का खिताब जीतकर क्रिकेट जगत को स्तब्ध कर दिया था. उस समय जगमोहन डालमिया को विश्वास था कि यह खेल भारत में बहुत लोकप्रियता बटोर सकता है और देश में एक नई मुहिम छेड़ सकता है. इसी वजह से डालमिया ने 1987 वर्ल्ड कप की मेजबानी भारत को दिलाने के लिए पूरा जोर लगा दिया था. आखिरकार उनकी कोशिशें सफल रहीं और 1987 विश्व कप की मेजबानी भारत और पाकिस्तान ने मिलकर की.
धीरुभाई अंबानी ने भी दिया साथ
जगमोहन डालमिया की इन कोशिशों का धीरुभाई अंबानी ने खुलकर समर्थन किया था. वो अंबानी ही थे, जिन्होंने 1987 वर्ल्ड कप को स्पॉन्सर किया था. अंबानी भी जानते थे कि भारत में क्रिकेट के जरिए खूब सारा पैसा कमाया जा सकता है. पहले के हालात ऐसे थे कि BCCI, टीम इंडिया के मैचों का प्रसारण करवाने के लिए दूरदर्शन को 5 लाख रुपये दिया करता था.
मगर डालमिया की नई सोच क्रिकेट में बदलाव का दौर लाने लगी थी क्योंकि उन्होंने टीम इंडिया के मैचों के लिए ब्रॉडकास्टिंग राइट्स प्राइवेट चैनलों को बेचने शुरू कर दिए थे. ये 1996 वर्ल्ड कप की बात है जब बीसीसीआई ने ब्रॉडकास्टिंग राइट्स को बेचकर 10 मिलियन डॉलर की कमाई की थी. भारतीय क्रिकेट में पैसे की बौछार होनी शुरू हुई, इसका काफी श्रेय जगमोहन डालमिया को जाता है और उनकी रणनीतियों से भारतीय क्रिकेटरों को भी फायदा होना शुरू हुआ था.