रायपुर।प्रदेश में स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य संचालक ने वायरोलॉजी लैब को अपडेट करने के निर्देश दिए हैं। ये वायरोलॉजी लैब कोरोना काल में खोले गए थे। प्रदेश में 15 दिनों में स्वाइन फ्लू से 6 मौतों की पुष्टि हो चुकी है। 40 से ज्यादा पीड़ित मिल चुके हैं। जबकि एक्टिव केस की संख्या 23 है।
स्वास्थ्य संचालक ने सभी मेडिकल कॉलेजों के डीन और CMHO को तत्काल प्रदेश के वायरोलॉजी लैबों में H1N1 वायरस की जांच के लिए तैयार करने कहा है। जिन वायरोलॉजी लैब में टेक्निशियन नहीं हैं, वहां तत्काल टेक्निकल स्टाफ की भर्ती करने के भी निर्देश दिए हैं।
वायरोलॉजी लैब के लिए यह निर्देश दिए गए
- टेस्टिंग किट और केमिकल जो जांच के लिए आवश्यक हो, CGMSC से सप्लाई न होने पर NOC लेकर लोकल स्तर पर खरीदें।
- मशीनरी की कमी से लैब से काम प्रभावित हो तो CGMSC से तत्काल संपर्क करें।
- सिविल वर्क की जरूरत हो तो पूरा कराएं।
- वायरोलॉजी स्टॉफ को समय-समय पर ट्रेनिंग दें। नई संक्रमण की स्थिति के लिए तैयार करें।
- मंकी पॉक्स की जांच के लिए भी किट की व्यवस्था करने कहा गया है। हालांकि इसका एक भी मरीज अभी छत्तीसगढ़ में नहीं है।
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज का वायरोलॉजी लैब।
स्वाइन फ्लू से 15 दिन के अंदर 6 मौतें
- 9 अगस्त- कोरिया जिले की 51 साल की महिला की मौत।
- 10 अगस्त- जांजगीर-चांपा जिले की 66 साल की महिला।
- 11 अगस्त- बिलासपुर जिले की महिला की मौत।
- 20 अगस्त- मनेंद्रगढ़ में 41 साल का शख्स।
- 21 अगस्त- राजनांदगांव में 4 साल की बच्ची।
- 21 अगस्त- राजनांदगांव में ही 37 साल का युवक की मौत।
रायपुर बिलासपुर में लैब का बुरा हाल
कोरोना की जांच के लिए साल 2020 में बनाए गए अधिकांश वायरोलॉजी लैब में टेक्निकल स्टॉफ और DEO की कमी है। इनमें रायपुर वायरोलॉजी लैब भी शामिल है। इन पदों पर संविदा भर्ती के भी निर्देश दिए गए हैं।
वहीं बिलासपुर के सिम्स में कोरोना काल के दौरान बने वायरोलॉजी लैब के संविदा कर्मियों की सेवाएं 6 अप्रैल 2024 को समाप्त हो गईं। कोरोना के नए वैरिएंट को देखते हुए संविदा साइंटिस्ट, टेक्नीशियन, एमएलटी, लैब अटेंडेंट की संविदा सेवाएं बढ़ाने की अनुमति नहीं मिल सकी। अब दोबारा नई भर्ती करनी पड़ेगी।
प्रदेशभर के अस्पतालों आइसोलेशन वार्ड तैयार
स्वास्थ्य विभाग ने स्वाइन फ्लू को लेकर पूरे प्रदेश में आइसोलेशन वार्ड तैयार किए हैं। आइसोलेशन वार्ड जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में बनवाया गया है। सर्दी, खांसी और कफ के साथ तेज बुखार से पीड़ितों का स्वाइन फ्लू टेस्ट कराने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना काल में बने आइसोलेशन वार्डों को ही फिर से तैयार कर दिया गया है।