रायपुर। केंद्र सरकार के ऐलान के बाद प्रदेश में भी जनगणना की तैयारी होने लगी है। प्रदेश में सितंबर में यह काम प्रारंभ हो जाता है, तो करीब डेढ़ साल में पूरा होने की संभावना है। आंकलन है कि राज्य की आबादी करीब 3.25 करोड़ हो गई होगी। सबसे ज्यादा उत्सुकता डिजिटल गिनती, बस्तर खासकर अबूझमाड़ में लोगों की गिनती और इस बार जनगणना के नए फॉर्मेट में जाति के कॉलम के रहने या न रहने को लेकर रहेगी। सबसे पहले घरों की लिस्टिंग होगी। इसके चार-पांच महीने बाद लोगों की गिनती होगी।
डिजिटल जनगणना में कितना अमला लगेगा इसका आंकलन किया जा रहा है। जनगणना में भी अलग तरह से वार्डों का फॉर्मेट अपनाया जाता है। इसके अनुसार ही गणकों की संख्या तय होगी। पहले उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी। 2021 की जनगणना के लिए कोविड-19 की वजह से अगस्त 2019 में ब्रेक लग गया था। पहले राज्य में जनगणना कराने का जिम्मा वरिष्ठ आईएएस अफसर रजत कुमार को जनगणना निदेशक बनाकर सौंपा गया था। उन्होंने इस पर काम भी प्रारंभ कर दिया था। कांकेर के माकड़ी और रायपुर के संतोषी नगर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ट्रायल भी हो चुका था।
फिर उन्हें केंद्र सरकार ने दिल्ली में ही पूरे देश का जनगणना महादेशक बना दिया था। अब यह जिम्मेदारी केसी देव सेनापति को दी गई है। जनगणना निदेशालय दिल्ली से आने वाले निर्देशों का इंतजार कर रहा है। जल्द ही इस पर उच्च स्तरीय बैठक होने वाली है। केंद्र सरकार ने बजट में भी इसके लिए प्रावधान कर दिया है। चूंकि यह राष्ट्रीय कार्यक्रम है इसलिए लोगों की गिनती के लिए एक राष्ट्रव्यापी अधिसूचना जारी होगी।
नक्सल प्रभावित बस्तर के लिए भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल विशेष रूप से प्लान बना सकते हैं। पूर्व में इसका प्रस्ताव भी सरकार ने भेजा था। हालांकि, पिछले कुछ महीनों से अंदरूनी इलाकों में भी सरकारी तंत्र पहुंचने लगा है। संभावना है कि अंदरूनी एवं कमजोर नेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में ऑफलाइन गिनती की जाएगी।
महत्व
- देश के पालिसी ओरिएंटेशन का ज्ञान।
- योजना आयोग बंद होने, पंचवर्षीय योजनाएं नहीं बन रहीं।
- अब सरकार 25- 30 साल की कार्य योजनाओं पर काम कर रहीं।
- जनता के लिए खाद्य एवं अन्य संसाधन जुटाने में मदद।
2011 की जनगणना में आबादी थी 2.55 करोड़
- 2011 में 2.55 करोड़ लोग गिनती में मिले थे।
- डिजिटल जनगणना के लिए लगभग 70 हजार स्टाफ लगेगा।
- ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों ही मोड पर जानकारी जुटाई जाएगी।
- छत्तीसगढ़ बनने के बाद 2001 व 2011 और अब 2024 में गिनती होगी।
- यह भारत की जनसंख्या की 16वीं जनगणना होगी।
- डाटा संकलन के लिए बनेगी अंतरविभागीय समिति।
- समिति पारदर्शिता और तथ्यों के संकलन पर रखेगी नजर।
- जनगणना मोबाइल ऐप पर कराई जाने की संभावना है।
- ट्रेनिंग कमिश्नरों, कलेक्टरों व प्रगणकों सभी को दी जाएगी।
- प्रगणकों को 25 हजार और पेपर वर्क प्रगणकों को 17 हजार रुपए मानदेय पर विचार।
- डिजिटल जनगणना होने से आंकड़ों के जल्द जारी करने में मदद।
- जनगणना होगी पर्यवेक्षण वेब पोर्टल पर।
- राजस्व और पंचायत विभाग होंगे नोडल।
- इन विभागों के नोडल अधिकारी तहसीलों और गांवों का बनाएंगे मानचित्र।
- गांवों की मास्टर डायरेक्टरी के रूप में करेंगे जानकारी एकत्र।
बिलासपुर व रायपुर के गजेटियर में उल्लेख
रायपुर व बिलासपुर के 1929 के गजेटियर के डाक्यूमेंटेशन में इसके कंक्रीट वर्क का पता उल्लेख है। ईस्ट इंडिया कंपनी भी जनगणना कराती थी। इसे जनगणना के नाम से नहीं किया जाता था। इससे पता चलता है कि सरकार जनता, खासकर गरीबों को जो सुविधाएं दे रही उसका कितना फायदा उन्हें पहुंच रहा कितनी आबादी गरीबी रेखा से ऊपर उठी या एपीएल-बीपीएल में पहुंच ई, माइग्रेटेड मजदूरों के आंकड़ों से लेकर नेशनल सैंपल सर्वे, कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स का वास्तविकता पता करती है। रोजगार के अवसरों की डिमांड सामने आती है।