छत्तीसगढ़

कैसे सधेगा कांग्रेस-आप गठबंधन: राहुल गांधी की पहल के बाद भी हरियाणा के नेताओं में झिझक… आप की ये दरकार

नईदिल्ली : हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राहुल गांधी ने इसकी चर्चा की है और साथ लड़ने की संभावना तलाशने को कहा है।

आप नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी इशारा किया है कि भाजपा को हराने के लिए आप कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती है। उन्होंने कहा-भाजपा को हराना हमारी प्राथमिकता है, मगर इस पर फैसला अरविंद केजरीवाल की सहमति पर ही लिया जा जाएगा। वहीं, आप के सूत्रों ने दावा किया है कि गठबंधन की स्थिति पर आम आदमी पार्टी कांग्रेस से 20 सीटें मांग सकती है। ये वह सीटें जो दिल्ली और पंजाब की सीमा से लगती हैं।

सीटों पर अड़ंगा

नई दिल्ली में सोमवार को कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं से पूछा कि क्या अकेले चुनाव लड़ने से नुकसान नहीं होगा। गठबंधन की कोई संभावना बन सकती है। इस पर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जवाब देते हुए कहा- आम आदमी पार्टी हरियाणा में ज्यादा सीटें मांग रही है। उन्हें सिर्फ तीन से चार सीटें दी जा सकती हैं। 

इस पर राहुल ने कहा कि वोटों के बिखराव को रोकने के लिए मिलकर लड़ना चाहिए। उन्होंने हुड्डा से कहा- इस पर विचार करना चाहिए और संभावनाएं भी देखनी होगी। आम आदमी पार्टी रतिया, टोहाना, कालावलीं, रानियां, कलायत, गुहला चीका, जींद सिटी या बादली में से एक, सोहाना, बल्लभगढ़, पेहवा, नारायणगढ़, घरौंदा या असंध में से एक, नरवाना समेत 20 सीटों पर दावा ठोकेगी। पार्टी अधिकतर उन सीटों को मागेगी, जिस पर कांग्रेस के विधायक नहीं है।

गुजरात चुनाव के परिणाम ने कांग्रेस को सोचने पर मजबूर किया

राहुल गांधी ने गठबंधन की चर्चा ऐसे ही नहीं की है। वह अच्छी तरह से समझते हैं कि अलग-अलग लड़े तो इसका सीधा फायदा भाजपा को ही मिलेगा। साल 2022 में गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ काफी सत्ता विरोधी लहर थी। इसके बावजूद भाजपा ने सत्ता हासिल कर ली। इसकी बड़ी वजह आम आदमी पार्टी थी। पार्टी ने सिर्फ पांच सीटों पर दर्ज की, मगर 35 सीटें ऐसी थी, जहां वह दूसरे नंबर पर रही। आप की एंट्री से कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान हुआ। 77 सीटों से वह 17 सीटों पर जाकर सिमट गई।

सत्ता विरोधी हवा से मिलने वाले वोटों का बिखराव को रोकना

हरियाणा में दस साल से भाजपा सत्ता में है। उसके खिलाफ सत्ता विरोधी हवा है। भाजपा के एंटी वोट के लिए मतदाताओं के पास कांग्रेस, जजपा, इनेलो और आप विकल्प के तौर पर है। ऐसे में चार तरफ वोटों का बिखराव होना तय है। कांग्रेस इनेलो व जजपा के साथ जा नहीं सकती है। ऐसे में आप ही उसके सामने बेहतर विकल्प दिखता है। इस गठबंधन के साथ वह नॉन जाट वोटों को भी अपनी तरफ खींच सकती है।

हरियाणा कांग्रेस का वाजिब तर्क

हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने बताया कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली व पंजाब में जो स्थिति है, वह हरियाणा में नहीं है। पार्टी के पास राज्य में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। गठबंधन होने की स्थिति में आप कम से कम 10 से 12 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और यदि परिणाम विपरीत हुए तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ेगा। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यदि लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र सीट कांग्रेस के पास रहती तो नतीजे कुछ और हो सकते थे। मौजूदा समय में कांग्रेस की स्थिति इस समय में मजबूत है। वह अकेले ही बहुमत हासिल कर सकती है। उधर, कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कुमारी सैलजा अलग-अलग इंटरव्यू में बिना गठबंधन के चुनाव लड़ने का दावा करते रहे हैं। बीते लोकसभा चुनाव में 90 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने 44, कांग्रेस ने 42 और आप ने चार पर जीत दर्ज की थी।