नईदिल्ली : ना तो जसप्रीत बुमराह का कद घटा है, ना ही उनका रोल कम हुआ है. वो पहले की तरह ही भारतीय टीम की गेंदबाजी यूनिट के मुखिया हैं. जो काम वो बरसों-बरस से करते आए हैं उन्हें आगे भी वही काम करना है. ये काम है अपनी घातक गेंदबाजी की बदौलत टीम इंडिया को जीत दिलाना. और इस मकसद के बीच उप कप्तानी आड़े नहीं आती. यानी बुमराह उप-कप्तान रहें ना रहें उनका काम नहीं बदलता. इस फैसले को इस उदाहरण से समझिए कि महीने के अंत में आप अपने बटुए से पैसा सोच-समझकर निकालते हैं वैसे ही जसप्रीत बुमराह का इस्तेमाल अब सोच-समझकर किया जा रहा है.
बुमराह अभी 31 साल के होने वाले हैं. आराम से 2-3 साल खेलेंगे. लेकिन अगले 2-3 साल में आप उन्हें हर मैच खेलते नहीं देखेंगे. वो अगले साल चैंपिंयंस ट्रॉफी पर फोकस करेंगे. इससे भी कहीं ज्यादा अहम है वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल. जो अगले साल जून में लॉर्ड्स में खेला जाएगा. वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के पहले दोनों फाइनल में जगह बनाने के बाद भी भारतीय टीम का जीत का सपना अधूरा है. फिर 2026 में टी20 वर्ल्ड कप पर भी है. इन बड़े मुकाबलों के लिए जसप्रीत बुमराह का फिट और तरोताजा रहना जरूरी है. इसीलिए वो सारे मैच खेलते नहीं दिखेंगे और जब सारे मैच खेलने ही नहीं हैं तो उप-कप्तानी की जिम्मेदारी क्यों ही लेनी है?
टीम के लीडर हैं जसप्रीत बुमराह
जसप्रीत बुमराह का रोल उप-कप्तानी से ज्यादा है. वो इस वक्त दुनिया के सबसे घातक गेंदबाजों में गिने जाते हैं. आईसीसी रैंकिंग्स में वो भारत के नंबर एक तेज गेंदबाज हैं. ओवरऑल भी देखें तो सिर्फ ऑस्ट्रेलिया के जोश हेज़लवुड हैं जो उनसे आगे हैं. वरना बुमराह का दबदबा है. बताते चलें कि इस लिस्ट में नंबर एक पर आर अश्विन हैं. बुमराह तीसरे नंबर पर हैं. हालांकि उनका और हेजलवुड का रेटिंग प्वाइंट एक बराबर है. ये बात रोहित शर्मा को पता है. वो जानते हैं कि बुमराह का होना कितनी बड़ी ताकत है. इसीलिए फॉर्मेट कोई भी हो रोहित शर्मा उन पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं. यूं तो इसकी दर्जनों मिसाल हैं जब रोहित शर्मा ने बुमराह को कोई जिम्मेदारी सौंपी हो और वो उस पर खरे उतरे. लेकिन सबसे ताजा उदाहरण 2024 टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल है.
दक्षिण अफ्रीका को आखिरी तीन ओवर में 22 रन चाहिए था. 18 गेंद पर 22 रन. ये बेहद आसान सा लक्ष्य था. वो भी तब जबकि क्रीज पर डेविड मिलर और मार्को जेंसन मौजूद हों. सबसे जरूरी था कि मैच को आखिरी ओवर तक ले जाया जाए. 18वां ओवर बहुत अहम था. ये ओवर बुमराह ने फेंका. उन्होंने उस ओवर में सिर्फ 2 रन दिए और 1 विकेट भी लिया. जिस गेंद पर उन्होंने जैंसन को बोल्ड किया उसके लिए कॉमेंट्री में कहा गया- सेंनसेशनल डेलीवरी. पूरे वर्ल्ड कप में बुमराह ने 8 मैच में 15 विकेट लिए थे. उन्होंने 4.19 की इकॉनमी से रन दिए थे. टी20 फॉर्मेट में 4.19 की इकॉनमी हैरान करने वाली है. उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था. पूरे टूर्नामेंट में इकलौता गेंदबाज भी नहीं था जिसने 8 मैच खेले हों और 4.19 की इकॉनमी से रन दिया हो.
बुमराह खुद भी चीजों को समझते हैं
बुमराह ने एक टेस्ट मैच में भारत की कप्तानी की है. वो कप्तानी के महत्व को समझते हैं. दुनिया की किसी भी टीम के लिए अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी के दिल में कप्तानी की इच्छा जरूर होती है. ये इच्छा कुछ महीने पहले जसप्रीत बुमराह ने जाहिर भी की थी. लेकिन बुमराह इस इच्छा के व्यवहारिक पक्ष को भी समझते हैं. उन्हें पता है कि कप्तानी या उप कप्तानी जैसी जिम्मेदारी उस खिलाड़ी को दी जाती है जो तीनों फॉर्मेट में खेलने के लिए हमेशा उपलब्ध हो. टी20 फॉर्मेट में हार्दिक पांड्या की बजाए सूर्यकुमार यादव को कप्तानी सौंपने का उदाहरण उनके सामने है. शुभमन गिल को टी20 और वनडे में उप-कप्तानी देने का उदाहरण उनके सामने है. हार्दिक पांड्या ने तो करीब एक साल तक टी20 फॉर्मेट में कप्तानी की थी. ये वो दौर था जब रोहित शर्मा टी20 फॉर्मेट में नहीं खेल रहे थे. लेकिन जब टी20 वर्ल्ड कप की बात आई तो टीम मैनेजमेंट ने रोहित शर्मा को जिम्मेदारी सौंप दी.
बुमराह जानते हैं कि किसी भी खिलाड़ी से बड़ा खेल है. बड़े से बड़े खिलाड़ी को टीम की जरूरत के हिसाब से खेलना होता है. फिलहाल टीम की जरूरत यही है कि बुमराह बड़े मुकाबलों के लिए फिट रहें. फिट रहने के लिए उन्हें बीच-बीच में कुछ मैच छोड़ने होंगे. बस इतनी सी बात है कि उन्हें उप-कप्तानी नहीं दी गई. जसप्रीत बुमराह की गिनती ‘थिंकिंग क्रिकेटर’ की है. अपने करियर के शुरूआती दिनों से लेकर आज तक उन्होंने अपनी गेंदबाजी को लगातार ‘अपग्रेड’ किया है. बुमराह स्लिंग आर्म ऐक्शन से गेंदबाजी करते हैं. ऐसे में करियर के शुरूआती दिनों में वो दाएं हाथ के गेंदबाजों के लिए गेंद बाहर की तरफ नहीं निकाल सकते हैं. यानी आउटस्विंग नहीं फेंकते थे. लेकिन उन्होंने अगले कुछ समय में ही अपने ऐक्शन की इस लिमिटेशन को दूर कर लिया. उनकी गेंदबाजी में रफ्तार है. लाइन लेंथ है. वो ब्लॉकहोल को हिट करने में माहिर हैं. गेंद की स्विंग और सीम पर उनकी अच्छी पकड़ है.
बीच में एक चर्चा इस बात पर भी चल रही थी कि दाहिने हाथ के बल्लेबाज के लिए नई गेंद से बुमराह वो डर नहीं पैदा कर पाते जो मोहम्मद शमी कर सकते हैं. ऐसा कहा जाता था कि बुमराह को गेंदबाजी तब करानी चाहिए जब गेंद थोड़ी पुरानी हो गई हो. जिस गेंद में एक तरफ की चमक बची हो और बुमराह उसकी मदद से बल्लेबाजों को छकाएं. आज बुमराह इन सारी चर्चाओं को बंद करा चुके हैं.