छत्तीसगढ़

80 किलो का बच्चा…, नीरज चोपड़ा का उड़ाया जाता था मजाक, फिर परिवार के इस सदस्य ने बदल दी जिंदगी

नईदिल्ली : नीरज चोपड़ा ने जब 2020 टोक्यो ओलंपिक्स की जेवलिन थ्रो प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता तो पूरे भारतवर्ष में इस खेल को लेकर एक नई मुहिम छिड़ गई थी. नीरज ने 2024 पेरिस ओलंपिक्स में भी सिल्वर मेडल जीता है और उनसे प्रेरणा लेकर भारत का युवा जेवलिन थ्रो के प्रति दिलचस्पी दिखाने लगा है. नीरज हरियाणा के खांडरा गांव से आते हैं, लेकिन उनके निजी जीवन के बारे में बहुत कम लोग वाकिफ हैं. आज नीरज चोपड़ा की फिटनेस दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, लेकिन एक समय था जब कुछ शरारती तत्व उन्हें बुली किया करते थे. उनका वजन इतना ज्यादा था कि उनका मजाक बनाया जाता था.

नीरज हमेशा से जॉइंट फैमिली में रहते आए हैं और बचपन में वो वजन कम करने की बात सुन-सुनकर परेशान हो गए थे. 13 साल की उम्र में नीरज बहुत शरारती हुआ करते थे, जो पेड़ों पर चढ़कर मधुमक्खी के छत्तों को तोड़ दिया करते थे. वो भैंस की पूंछ पकड़ कर मस्ती करते, लेकिन नीरज के पिता सतीश कुमार उन्हें अनुशासन का मतलब सिखाना चाहते थे. कई बार कहने के बाद आखिरकार भारत के जेवलिन थ्रो स्टार ने वजन पर ध्यान देने की बात मानी.

अंकल ने दिलाया शिवाजी स्टेडियम में दाखिला

नीरज दूध और घी का सेवन काफी किया करते थे, जिसके कारण उनका बॉडी फैट बहुत बढ़ गया था. बताया जाता है कि महज 11 साल की उम्र में उनका वजन करीब 80 किलो तक पहुंच गया था. उम्र के हिसाब से बहुत ज्यादा वजन होने के कारण नीरज का परिवार उनकी फिटनेस को लेकर चिंता व्यक्त करने लगा था. इसी कारण अंकल ने उन्हें पानीपत में स्थित शिवाजी स्टेडियम में दाखिला दिलाया, जो उनके गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर है.

स्टेडियम में एक बार नीरज ने कुछ लड़कों को जेवलिन थ्रो का अभ्यास करते देखा और उन्हीं में से एक लड़के ने नीरज को भाला फेंकने के लिए कहा था. उन्होंने काफी अच्छी तकनीक से भाला फेंका, जिसके बाद उन्हें इसी खेल में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिला. खुद नीरज को भी यह खेल पसंद था, जिसके बाद उन्होंने पंचकूला में स्थित अकादमी में दाखिला लिया था.