छत्तीसगढ़

छोटे कारोबारियों को घाटा तो मुनाफा किसे? राहुल गांधी की मांग- ‘बड़े खिलाड़ियों’ के नाम बताए सेबी

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को सेबी से उन तथाकथित ‘बड़े निवेशकों’ के नाम उजागर करने को कहा, जो छोटे कारोबारियों के नुकसान के बदले मुनाफा कमा रहे हैं। लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी की यह प्रतिक्रिया बाजार नियामक की उस रिपोर्ट के बाद आई है, जिसके अनुसार पिछले तीन वर्षों के दौरान 90 प्रतिशत छोटे निवेशकों ने वायदा व विकल्प (एफएंडओ) कारोबार में 1.8 लाख करोड़ रुपये गंवाये हैं।

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को एक अध्ययन के नतीजे जारी किए। इससे पता चला है कि वित्त वर्ष 24 में 91 प्रतिशत से अधिक या 73 लाख व्यक्तिगत व्यापारियों ने एफएंडओ सेगमेंट में पैसा गंवाया। इन छोटे कारोबारियों को प्रति व्यक्ति औसतन 1.2 लाख रुपये का शुद्ध घाटा हुआ।

इसके अलावा, एक करोड़ से ज्यादा व्यक्तिगत एफएंडओ ट्रेडर्स में से 93 प्रतिशत को वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 तक तीन वर्षों के दौरान प्रति ट्रेडर लगभग 2 लाख रुपये (लेनदेन लागत सहित) का औसत घाटा हुआ। इस अवधि के दौरान ऐसे ट्रेडर्स का कुल घाटा 1.8 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा रहा।

राहुल गांधी ने एक्स पर कहा, “अनियंत्रित एफएंडओ ट्रेडिंग पांच वर्षों में 45 गुना बढ़ गई है। 90% छोटे निवेशकों ने 3 वर्षों में 1.8 लाख करोड़ रुपये खो दिए हैं।” पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “सेबी को उन तथाकथित ‘बड़े खिलाड़ियों’ के नाम उजागर करने चाहिए जो उनका (छोटे कारोबारियों) फायदा उठाकर मुनाफा कमा रहे हैं।” सेबी के अध्ययन में कहा गया है कि अकेले वित्त वर्ष 24 में व्यक्तियों को लगभग 75,000 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ।

रिपोर्ट के अनुसार, घाटे में रहने वाले शीर्ष 3.5 प्रतिशत व्यापारियों या लगभग 4 लाख व्यापारियों को उक्त अवधि में प्रति व्यक्ति औसतन 28 लाख रुपये का नुकसान हुआ। इस नुकसान में लेनदेन लागत भी शामिल है। दूसरी ओर, केवल 7.2 प्रतिशत व्यक्तिगत एफएंडओ व्यापारियों ने तीन वर्ष की अवधि में लाभ कमाया और केवल 1 प्रतिशत व्यक्तिगत व्यापारी लेनदेन लागत को समायोजित करने के बाद 1 लाख रुपये से अधिक का लाभ कमाने में सफल रहे।

इसके अलावा, खुदरा ट्रेडर्स या व्यक्तिगत कारोबारियों की संख्या दो वर्षों में लगभग दोगुनी होकर वित्त वर्ष 24 में लगभग 96 लाख हो गई है, जो वित्त वर्ष 22 में लगभग 51 लाख थी। सेबी ने कहा, “परिष्कृत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की उपलब्धता और कम लेनदेन लागत ने खुदरा निवेशकों को विकल्प और वायदा अनुबंधों में सक्रिय रूप से व्यापार करने में सक्षम बनाया है, जिससे बाजार में तरलता में वृद्धि हुई है।” नियामक ने कहा कि एफएंडओ ट्रेडिंग गतिविधि में तीव्र वृद्धि से निवेशक शिक्षा और जोखिम प्रबंधन प्रथाओं की जरूरत बढ़ गई है, क्योंकि खुदरा व्यापारियों का एक बड़ा हिस्सा बाजार में लगातार घाटा झेल रहा है।