पुरी: ओडिशा सरकार ने मंगलवार को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी की गुणवत्ता की जांच करने का फैसला किया है। आंध्र प्रदेश के तिरुमाला मंदिर में लड्डू तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशु वसा (चर्बी) के कथित इस्तेमाल को लेकर विवाद के बीच यह फैसला लिया गया।
पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर ने बताया कि यहां इस तरह के कोई आरोप नहीं लगे हैं, लेकिन प्रशासन 12वीं सदी के मंदिर में ‘कोठा भोग’ (देवताओं के लिए प्रसाद) और ‘बराडी भोग’ (ऑर्डर पर प्रसाद) तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे घी की गुणवत्ता की जांच करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य संचालित ओडिशा मिल्क फेडरेशन (ओमफेड) पुरी मंदिर में इस्तेमाल के लिए घी का एकमात्र आपूर्तिकर्ता है।
उन्होंने कहा कि मिलावट की किसी भी आशंका को दूर करने के लिए ओमफेड की ओर से आपूर्ति किए जा रहे घी के मानक की जांच करने का निर्णय लिया गया है। ओमफेड के साथ-साथ मंदिर के उन सेवकों से भी बात की जाएगी, जो प्रसाद तैयार करते हैं।
सेवक ने किया था मिलावटी घी के इस्तेमाल का दावा
इस बीच सेवक जगन्नाथ स्वैन महापात्रा ने दावा किया कि पहले मंदिर परिसर में दीये जलाने के लिए मिलावटी घी का इस्तेमाल किया जाता था। उन्होंने कहा कि अब इसे रोक दिया गया है। हम मंदिर के मुख्य प्रशासक से यहां इस्तेमाल किए जाने वाले घी की पूरी जांच करने का अनुरोध करेंगे। भक्तों की आस्था बहुत महत्वपूर्ण है।
तिरुपति मंदिर विवाद के बाद लिया गया फैसला
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा दावा किए जाने के बाद तिरुपति मंदिर में लड्डू की गुणवत्ता पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। उनका दावा है कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।