जम्मू : जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया है. राष्ट्रपति शासन हटाने के आदेश के बाद अब केंद्रशासित प्रदेश में सरकार गठन का रास्ता साफ हो गया है. बता दें कि 90 सदस्यीय विधानसभा में हाल में विधानसभा चुनाव हुआ था. इस चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बहुमत हासिल की है. नेशनल कांन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मिलकर सरकार गठन का दावा पेश किया था.
साल 2014 के 10 सालों के बाद इस साल पहली बार विधानसभा चुनाव कराया गया था. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने और केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने के बाद यह पहला चुनाव था. इसके पहले 19 जून, 2018 को पीडीपी-बीजेपी गठबंधन टूटने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया था.अगस्त 2019 में, केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की अर्ध-स्वायत्त स्थिति को रद्द कर दिया और इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया था.
चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को मिला बहुमत
विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को बहुमत मिला है. उसे 42 सीटें मिली हैं. वहीं, कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में सिर्फ छह सीटें जीती हैं. इनमें कश्मीर में पांच और जम्मू संभाग में एक सीट पर जीत हासिल की है.
चुनाव में चार निर्दलीय विधायक और आम आदमी पार्टी (आप) के एक विधायक ने जीत हासिल की थी. सभी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया है. जबकि 29 सीटों के साथ भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
उमर ने सरकार गठन का पेश किया था दावा
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसी गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद मनोनीत मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की थी. उन्होंने मुलाकात कर सरकार गठन का दावा पेश किया था. इससे पहले उमर अब्दुल्ला को गुरुवार को सर्वसम्मति से एनसी विधायक दल का नेता चुना गया और उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ के लिए उपराज्यपाल से आग्रह किया था.
चूंकि अब केंद्रशासित प्रदेश से राष्ट्रपति शासन समाप्त कर दिया गया है. इस कारण ऐसी संभावना है कि बुधवार को मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है. उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे तो वह जम्मू-कश्मीर में दूसरी बार सीएम पद पर बैठेंगे. हालांकि इसके पहले वह मुख्यमंत्री तब बने थे, जब जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा प्राप्त था, लेकिन अब वह केंद्रशासित प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे, जहां उपराज्यपाल को ज्यादा अधिकार प्राप्त हैं.