वॉशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है। डेमोक्रेटिक की ओर से कमला हैरिस और रिपब्लिकन ने डोनाल्ड ट्रंप को चुनावी मैदान में उतारा है। दोनों ही जीत के लिए अपनी पुरजोर ताकत लगा रहे हैं। इस बीच भारतीय अमेरिकी नेता स्वदेश चटर्जी ने बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि समुदाय उपराष्ट्रपति को वोट देने से हिचक रहा है। साथ ही उन्होंने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि हैरिस अपनी पिछली भूमिकाओं यानी कैलिफोर्निया की सीनेटर या अटॉर्नी जनरल के रूप में समुदाय के बीच कोई आधार विकसित नहीं कर सकीं।
‘इंडियन अमेरिकन्स फॉर हैरिस’ समूह के नेता का दावा
साल 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित भारतीय-अमेरिकी समुदाय के डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े नेता ने ‘इंडियन अमेरिकन्स फॉर हैरिस’ नाम से एक समूह बनाया है। वह न केवल उत्तरी कैरोलिना राज्य में, जहां हैरिस रहती हैं, उनके लिए प्रचार कर रहे हैं, बल्कि अन्य महत्वपूर्ण राज्यों में भी उपराष्ट्रपति के लिए समर्थन जुटा रहे हैं।
चटर्जी ने स्वीकार किया कि समुदाय उन्हें भारी मत देने में हिचकिचा रहा है, क्योंकि वे उन्हें अच्छी तरह से नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा कि कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल के रूप में हैरिस ने भारतीय अमेरिकी आधार का निर्माण नहीं किया और सीनेटर के रूप में वह किसी भी सामुदायिक बैठक या उनके किसी भी कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थीं। उन्होंने कहा कि यह प्रतिक्रिया भारतीय अमेरिकियों और उनकी टीम को मिली जानकारी पर आधारित है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह एक चुनौती हो सकती है। हालांकि वे (हैरिस अभियान) इसका समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं। वे अच्छी तरह जानते थे कि कमला को एशियाई अमेरिकी और दक्षिण एशियाई समुदाय दोनों से ही वफादारी नहीं मिली है।
समुदाय पूरी तरह बंटा हुआ
भारतीय-अमेरिकी नेता ने कहा कि समुदाय पूरी तरह बंटा हुआ है। भारतीय अमेरिकी जो थोड़े समृद्ध हैं, उन्हें लगता है कि (रिपब्लिकन उम्मीदवार) डोनाल्ड ट्रंप टैक्स कम करेंगे। साथ ही, जो लोग हिंदू धर्म के बारे में थोड़ा बहुत जानते हैं, उन्हें लगता है कि टेक्सास और अहमदाबाद में क्रमशः हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप कार्यक्रमों के कारण अमेरिका-भारत संबंधों के लिए ट्रंप बेहतर होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि हैरिस ने अपनी मां के योगदान और अपनी भारतीय विरासत को तब नहीं पहचाना जब वह सीनेट की सदस्य थीं। मगर जब उन्हें उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया तो वह सच में भारतीय अमेरिकी समुदाय में शामिल हो गईं। बहुत से समुदाय के नेताओं ने उनका समर्थन किया और वह निर्वाचित हुईं। राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी भारतीय अमेरिकियों का समर्थन किया