छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के खिलाफ चेतेश्वर पुजारा ने जड़ा दोहरा शतक, पारस डोगरा के इस रिकॉर्ड के बराबर पहुंचे

राजकोट। भारतीय टीम के अनुभवी बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने छत्तीसगढ़ के खिलाफ सौराष्ट्र के लिए खेलते हुए रणजी ट्रॉफी में दोहरा शतक जड़ा। पुजारा ने ग्रुप डी मैच के चौथे दिन शानदार बल्लेबाजी की। पुजारा ने 348 गेंदों पर दोहरा शतक पूरा किया जिसमें 22 चौके शामिल हैं। पुजारा का प्रथम श्रेणी में यह 18वां और रणजी ट्राफी का नौवां दोहरा शतक है। 

पुजारा ने अपनी शानदार पारी के दम पर एक खास उपलब्धि हासिल कर ली है। वह रणजी ट्रॉफी में संयुक्त रूप से सबसे ज्यादा दोहरे शतक जड़ने वाले बल्लेबाज बन गए हैं। उन्होंने इस मामले में पारस डोगरा की बराबरी कर ली है जिनके नाम रणजी ट्रॉफी में नौ दोहरा शतक जड़ने का रिकॉर्ड है। इसके अलावा पुजारा प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सबसे ज्यादा दोहरे शतक जड़ने वाले दुनिया के चौथे बल्लेबाज बन गए हैं। उन्होंने इस मामले में इंग्लैंड के हरबर्ट सटक्लीफ और मार्क रामप्रकाश को पीछे छोड़ा जिन्होंने प्रथम श्रेणी में 17 दोहरे शतक लगाए हैं। पुजारा इस मामले में अब हेंड्रेन (22), वैली हेमोंड (36) और डॉन ब्रैडमैन (37) से पीछे हैं। 

पुजारा ने ब्रायन लारा को पीछे छोड़ा था
इससे पहले, पुजारा ने प्रथम श्रेणी में 66वां शतक जड़ने के साथ ही वेस्टइंडीज के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज ब्रायन लारा को पीछे छोड़ दिया था। पुजारा ने प्रथम श्रेणी में सबसे ज्यादा शतक के मामले में लारा को पीछे छोड़ा था। वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले भारतीय के मामले में तीसरे नंबर पर हैं। इस मामले में सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर 81-81 शतक के साथ पहले नंबर पर, राहुल द्रविड़ 68 शतक के साथ दूसरे नंबर पर और पुजारा तीसरे नंबर पर हैं। भारतीय टीम से बाहर चल रहे पुजारा ने रणजी ट्रॉफी मैच के राउंड दो में बल्लेबाजी करते हुए 21,000 रन भी पूरे किए।

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले दिखाया दम
पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अगले महीने से होने वाली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले घरेलू क्रिकेट में दम दिखाया है। पुजारा लंबे समय से भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन वह नियमित रूप से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और साबित कर रहे हैं उनके अंदर रन बनाने की भूख अब भी जिंदा है। पुजारा के अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत अक्तूबर 2010 में बंगलूरू में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू के साथ हुई थी। तब से वह काफी समय तक भारतीय टेस्ट टीम का एक अभिन्न हिस्सा बने रहे थे। वह अपनी धैर्यशक्ति और अनुशासित बल्लेबाजी शैली के लिए जाने जाते हैं। इस बैटिंग एप्रोच को अक्सर डिफेंसिव एप्रोच और पुराने समय के लोगों द्वारा अपनाए गए एप्रोच का नाम दिया जाता है। इसी की वजह से पुजारा क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में इतने सफल हो पाए हैं।