छत्तीसगढ़

इजरायल से बदला लेने के लिए तरसता रहेगा ईरान! IDF की एयरस्ट्राइक ने तोड़ डाली कमर

नईदिल्ली : इजरायली एयर फोर्स ने शनिवार (26 अक्टूबर) को ईरान के कई सैन्य ठिकानों पर हमला किया. इन ठिकानों का इस्तेमाल लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल के लिए ठोस ईंधन (सॉलिड फ्यूल) बनाने के लिए किया जाता था. माना जा रहा है कि इन हमलों से तेहरान के मिसाइल प्रोग्राम की क्षमता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है.

रिपोर्ट की मुताबिक इजरायली वायुसेना ने ईरान में उन सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जो मिसाइल प्रोग्राम के लिए काफी जरूरी थे. इन सैन्य ठिकानों पर ऐसे उपकरण थे, जो ईरान अपने दम पर नहीं बना सकता था. वो इन्हें चीन से खरीदता रहा है.

तेहरान का एयर डिफेंस सिस्टम भी तबाह

इजरायली स्रोतों ने कहा कि चार S-300 वायु रक्षा बैटरियों पर भी हमला किया गया है. जिन्हें काफी रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया गया था और जो किसी भी ऑपरेशन के दौरान तेहरान में परमाणु और ऊर्जा सुविधाओं की रक्षा करती थी. वहीं, इसके साथ एक ड्रोन बनाने वाले कारखाने और परचिन सैन्य परिसर में एक सुविधा पर भी हमला किया गया. जिसके बाद से परमाणु हथियारों के लिए पिछले रिसर्च एंड डेवलपमेंट की गतिविधियों को देखा गया था.

नुकसान की भरपाई करने में लग सकता है एक साल

रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली वायुसेना ने हमले में एक गुप्त बैलिस्टिक मिसाइल फैक्ट्री को निशाना बनाया था, जिसमें खैबर और हज कासेम मिसाइल को चलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन मिक्सर की एक बड़ी संख्या में नष्ट कर दिया गया है. जानकारी के अनुसार, इन्हीं दोनों मिसाइल से ईरान ने इजरायल पर इस महीने की शुरुआत में हमला किया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, बैलिस्टिक मिसाइल फैक्ट्री को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है. वहीं, एक सूत्र ने एलाफ को बताया कि यह फैक्ट्रियां ईरान की मिसाइल इंडस्ट्री की रीढ़ थी, जिसे सेवा से बाहर कर दिया. प्रत्येक भारी ईंधन मिक्सर की कीमत लगभग दो मिलियन डॉलर थी और इस प्रकार के 20 मिक्सर नष्ट हो चुके हैं.

वाल्ला के अनुसार, ऐसे उपकरणों को फिर से बनाने में लगभग एक वर्ष का समय लगेगा. वहीं, ईरानी मिसाइल इंडस्ट्री के जानकार सूत्रों ने एलाफ को बताया कि हमले में नष्ट हो चुकी फैक्ट्री की सेवा फिर से शुरू करने में कम से कम दो साल लगेंगे.