छत्तीसगढ़

यूपी की इस सीट पर आज तक नहीं दौड़ी अखिलेश की साइकिल, जानें उपचुनाव में क्या है समीकरण

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर अगले माह 13 नवंबर को उपचुनाव है. इनमें अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट भी शामिल है. खैर सीट पर प्रशासन ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. दूसरी तरफ सियासी दल और प्रत्याशी मतदाताओं को साधने के लिए जोरशोर से सियासी दाव पेंच आजमाते नजर आ रहे हैं. इस सीट पर समाजवादी पार्टी को अभी तक जीत नहीं मिली है.

खैर सीट पर नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. यहां पर सबसे पहले आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी नितिन कुमार चोटेल ने नामांकन दाखिल किया था. सपा, बीएसपी, बीजेपी और आजाद समाज पार्टी ने जातीय समीकरणों को साधने के लिए मजबूत प्रत्याशी चुनावी रण में उतारे हैं.

खैर से कौन-कौन है प्रत्याशी?
बीएसपी ने खैर उपचुनाव में इस बार डॉक्टर पहल सिंह को प्रत्याशी बनाया है. दूसरी तरफ उसकी प्रतिद्वंद्वी आजाद समाज पार्टी ने नितिन कुमार चोटेल को प्रत्याशी बनाया है. इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी के टिकट पर डॉ चारु केन अपनी किस्मत आजमा रही हैं, जबकि सत्तारुढ़ बीजेपी से सुरेंद्र दिलेर चुनावी रण में उतरे हैं.

जातीय समीकरण साधने में जुटे दल
ASP की रणनीति में दलित वोटरों को साधने की रणनीति दिखती है, इसकी वजह है खैर में दलित वोटरों का खासा प्रभाव. ASP के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद अगर यहां अपनी पकड़ मजबूत करते हैं, तो यह चुनावी मुकाबला किसी भी ओर मुड़ सकता है. नितिन कुमार चोटेल ने इस दिशा में अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं.

वहीं बहुजन समाज पार्टी की ओर से डॉक्टर पहल ने 2022 विधानसभा चुनाव में मिली सफलता को दोहराने के लिए अपने चुनाव प्रचार को और भी मजबूती से साधना शुरू कर दिया है. बीएसपी पिछले विधानसभा चुनाव में खैर सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी और यह उपचुनाव में उसे एक मजबूत आधार देता है. मायावती के समर्थन के साथ, डॉक्टर पहल ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ के नारे पर जोर देते हुए वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं.

खैर सीट से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार चारु केन कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. चारु के फैमिली का लंबा सियासी इतिहास रहा है. वह यहां के जाट और दलित वोट बैंक को साधने में लगी है. चारु केन एससी समाज से आती हैं, जबकि उनके पति जाट समाज से आते हैं.

चारु केन की एससी और जाट मतदाताओं के बीच अच्छी पैठ है, इस बार भी दोनों समाज से उन्हें बड़ी उम्मीद है. समाजवादी पार्टी को बीते लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र से अच्छा खासा वोट मिला था, जो चारु केन और उनके दल के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

बीजेपी किला बचाने में जुटी

खैर सीट पर बीजेपी के दबदबे को कम करके नहीं आंका जा सकता है. इस सीट पर बीजेपी के अनूप वाल्मिकी साल 2012 से लगातार जीत रहे हैं. बीते लोकसभा चुनाव में अनूप वाल्मिकी के हाथरस से सांसद निर्वाचित होने पर खैर सीट खाली हो गई थी.अब भारतीय जनता पार्टी ने सुरेंद्र दिलेर को चुनावी मैदान में उतार कर यहां के उपचुनाव को दिलचस्प बना दिया है. सुरेंद्र दिलेर के दादा और पिता ने खैर क्षेत्र में एक खास पहचान बनाई थी, जिससे उन्हें सहानुभूति वोट भी मिल सकता है. इस सीट पर बीजेपी के दबदबे को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य वरिष्ठ नेताओं के प्रचार से पार्टी का पक्ष मजबूत होता दिखाई दे रहा है. दूसरी तरफ अनूप वाल्मिकी का अपना वोट बैंक भी है.

सभी दलों ने झोंकी पूरी ताकत
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और आकाश आनंद के प्रचार के बिना बहुजन समाज पार्टी की चुनौती खैर में थोड़ी मांद पड़ती नजर आ रही है, लेकिन दलित और अन्य पिछड़े वर्गों में उसकी पुरानी पकड़ को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. ASP, बीएसपी, सपा और बीजेपी इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक रहे हैं, जिससे यह मुकाबला रोचक हो गया है.