मुम्बई : महाराष्ट्र के चुनावी हलचल के बीच बड़ी खबर सामने आई है. संभाजीनगर मध्य से उद्धव ठाकरे की पार्टी के उम्मीदवार ने नाम वापस लिया ले लिया है. इतना ही नहीं, नाम वापस लेने के बाद सीएम एकनाथ शिंदे को समर्थन देने का फैसला किया है. ये चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका है. संभाजीनगर मध्य से किशनचंद तनवानी ने नाम वापस लेने के बाद बड़ा दावा भी किया है. उन्होंने कहा कि इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में MVA बड़े अंतर से हारेगी.
अंतिम वक्त में किशनचंद तनवानी ने नाम लिया वापस?
किशनचंद तनवानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाम वापस लेने के फैसले की घोषणा तब की है जब नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए महज एक दिन बचा है. नामांकन पत्र दाखिल करने की समयसीमा 29 अक्टूबर को खत्म हो रही है. राजनीतिक हलके में इस बात की चर्चा चल रही है कि इसके पीछे क्या वजह है? वहीं बताया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना दूसरा उम्मीदवार मैदान में उतारेगी.
शिवसेना का गढ़ है संभाजीनगर
छत्रपति संभाजीनगर को शिवसेना का गढ़ माना जाता है. यहां ज्यादातर जगहों पर शिंदे गुट की शिवसेना और उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के बीच मुकाबला होगा. शिंदे गुट की शिवसेना से विधायक प्रदीप जयसवाल को फिर से शहर के सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा गया है. तो वहीं, उद्धव ठाकरे गुट ने किशन चंद तनवानी को उम्मीदवार बनाया था.
तनवानी ने कल नामांकन पत्र भरने की रैली इस आधार पर रद्द कर दी थी कि बाजार में भीड़ से नागरिकों को असुविधा होगी. इसके बाद उन्होंने सोमवार (28 अक्टूबर) को अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का ऐलान कर दिया.
किशनचंद तनवानी ने क्यों नाम लिया वापस?
प्रदीप जयसवाल और किशनचंद तनवानी दोनों कट्टर शिवसैनिक बताए जाते हैं. दोनों के बीच दोस्ती भी है. साल 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़े थे. इस दौरान वोटों के बंटवारे के कारण एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील विजयी रहे. इस बार भी प्रदीप जयसवाल, एमआईएम के नासिर सिद्दीकी मैदान में हैं. वहीं, किशनचंद तनवानी ने हटने का फैसला किया.
कहा जा रहा है कि तनवानी के फैसले के पीछे गुटबाजी है. हालांकि तनवानी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की. बता दें कि महाराष्ट्र में सभी 288 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग होगी, जबकि 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे.