नईदिल्ली : अमेरिका में 47वें राष्ट्रपति को चुनने के लिए आज वोट डाले जा रहे हैं, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं. मुख्य मुकाबला पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच है. यह चुनाव भारत जैसे देश के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में आइए जानने की कोशिश करते हैं कि अमेरिका में किसकी जीत से भारत को फायदा होगा और किसके जीतने से नुकसान हो सकता है?
भारतीय मूल की कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन तमिलनाडु की रहने वाली हैं. उनके पिता जमैका के मूल निवासी है. अमेरिका में मुलाकात के बाद उनके माता-पिता ने शादी की थी. हालांकि, बाद में दोनों के बीच तलाक हो गया था. वैसे कमला हैरिस अपनी मां के साथ कई बार चेन्नई में अपने नाना के घर आ चुकी हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के साथ नहीं दिखी केमेस्ट्री
अमेरिका की उप राष्ट्रपति रहते हुए कमला हैरिस भारत के मुद्दों पर ज्यादा मुखर नहीं रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान कमला हैरिस से उनकी मुलाकात हुई थी, तब भी उनके साथ कोई बेहतरीन केमेस्ट्री नहीं दिखी थी. जबकि राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन कई घरेलू मुद्दों को लेकर भारत के खिलाफ बयानबाजी करता रहा है. भारत में अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों को लेकर अमेरिकी मंत्रियों ने कई बार यहां के लोकतंत्र पर सवाल भी खड़े किए हैं.
कश्मीर पर दे चुकीं विवादित बयान
सबसे अहम बात यह है कि कमला हैरिस कश्मीर को लेकर विवादित बयान दे चुकी हैं. साल 2019 में भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के लिए संविधान का आर्टिकल 370 निरस्त किया था, तो कमला हैरिस ने कहा था कि कश्मीरियों को हमें याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में कतई अकेले नहीं हैं. अगर जरूरत पड़ी, तो हमें दखल देना पड़ेगा.
ऊर्जा के क्षेत्र और एमिग्रेशन मुद्दे पर मिल सकती है मदद
कमला हैरिस ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों यानी नवीनीकरण ऊर्जा को बढ़ावा देने की पक्षधर हैं और इस दिशा में भारत भी लगातार आगे बढ़ रहा है और इसने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है. ऐसे में भारत को आशा है कि इसके लिए उसे अमेरिका से अत्याधुनिक तकनीकी मदद मिल सकती है. वहीं, कारोबार के लिहाज से देखा जाए तो कमला हैरिस के जीतने से भारतीय बाजार में स्थिरता रह सकती है.
इसके अलावा कमला हैरिस के जीतने पर एक समस्या यह होगी कि उनके साथ उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार टिम वाल्ज हैं, जो चीन के प्रति नर्म रुख रखते हैं. उनके चीन से संबंध भी हैं पर एमिग्रेशन के मुद्दे पर कमला भारत का साथ दे सकती हैं. इससे भारतीय आईटी क्षेत्र को लाभ होगा. वैसे भी अमेरिका में डेमोक्रेटिक सरकारें एच-1बी वीजा के लिए बेहतर काम करती रही हैं.
चीन पर सख्ती के पक्षधर ट्रंप, भारत को मिल सकता है फायदा
जहां तक डोनाल्ड ट्रंप की बात है तो उनके साथ पहले कार्यकाल में भारतीय प्रधानमंत्री के संबंध अच्छे रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी से वह जितनी भी बार मिले हैं, पूरी गर्मजोशी के साथ मिले हैं. वह कई बार प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ भी कर चुके हैं और उनको अपना दोस्त भी बताते रहे हैं. ऐसे में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर भारत की आईटी कंपनियों के लिए रास्ते खुलने की संभावना रहेगी, क्योंकि वे व्यापार में चीन को लेकर सख्त नीति की हिमायत करते रहे हैं.
इसलिए वह चीन के मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भी समाप्त कर सकते हैं. ट्रंप के आने पर चीन पर अमेरिका की निर्भरता घटाई जाएगी, जिसका फायदा भारत को मिलेगा.
भारत के मामलों में दखलंदाजी नहीं
विदेश मामलों के जानकार यह भी मानते हैं कि जो बाइडेन के मुकाबले ट्रंप भारत के अंदरूनी मामलों में कम दखलंदाजी करेंगे. वहीं, बाइडेन सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तक पर टिप्पणी की थी. हालांकि, भारत ने इसे खारिज कर दिया था. इसके अलावा ट्रंप के आने से भारत की मदद से रूस-यूक्रेन का युद्ध भी रुक सकता है.
ट्रंप खुद ही कह चुके हैं कि वह जीते तो लड़ाई रुकवा देंगे. यह भी भारत के पक्ष में रहेगा. वैसे भी यूक्रेन और रूस दोनों ही भारत के अहम साझीदार देश हैं. रूस तो भारत का दोस्त ही है. ऐसे में रूस में स्थिरता भारत के लिए भी जरूरी है.
ऐसे भी मिल सकता है भारत को फायदा
बाजार के जानकार एक बात जरूर कह रहे हैं कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर ब्याज दरों के साथ ही सोने की कीमतें और विश्व स्तर पर अमेरिकी डॉलर ज्यादा मजबूत हो सकते हैं. इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतें घट सकती हैं. तेल की कीमतें घटने का सीधा लाभ भारत को मिलेगा. हालांकि, डॉलर की मजबूती का विदेशी मुद्रा भंडार पर असर जरूर पड़ेगा. जानकारों का कहना है कि हैरिस के जीतने पर बाजार पूर्व के अनुमान के अनुसार ही चलेगा. इससे ब्याज दरें घट सकती हैं और अमेरिकी डॉलर में स्थिरता रह सकती है.