मुम्बई : महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान है और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे. इस बार के चुनाव में 4136 उम्मीदवार अपने भाग्य को आजमा रहे हैं, जिसमें 420 मुस्लिम प्रत्याशी भी शामिल है. बीजेपी को छोड़कर सभी दलों ने मुस्लिम को टिकट दिया है. महायुति में शामिल एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी भी मुस्लिम पर दांव लगा रखा है तो कांग्रेस से लेकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी ने मुस्लिम पर भरोसा जताया है. इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM से लेकर सपा तक मुस्लिम को उतारा है.
महाराष्ट्र में 12 फीसदी मुस्लिम मतदाता है, जो पांच दर्शन सीटों पर अपना सियासी प्रभाव रखते हैं. मालेगांव विधानसभा सीट पर 60 फीसदी के करीब मुस्लिम मतदाता हैं तो पांच सीट पर 50 फीसदी मुस्लिम वोटर है.सूबे की 9 सीट पर 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं, 15 सीट पर 30 फीसदी मुस्लिम और 38 सीट पर 20 फीसदी मुस्लिम वोटर्स है. इस तरह 60 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता राजनीतिक दलों का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के इतिहास में 13 मुस्लिम विधायक से ज्यादा नहीं जीत सके हैं. इस बार चुनाव में उतरे 420 मुस्लिम प्रत्याशी उम्मीदवार क्या जीत के 13 का रिकॉर्ड तोड़ नहीं सके.
किस पार्टी ने कितने मुस्लिम को दिया टिकट
राज्य की 288 सीटों पर 420 मुस्लिम प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें 218 उम्मीदवार निर्दलीय किस्मत आजमा रहे हैं और 202 मुस्लिम प्रत्याशी अलग-अलग राजनीतिक दलों से मैदान में है. कांग्रेस के अगुवाई वाले महाविकास अघाड़ी ने 14 मु्स्लिम प्रत्याशी उतारे हैं और बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुती गठबंधन ने सात मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं. महा विकास अघाड़ी में सबसे ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशी कांग्रेस ने उतारा है तो महायुति में एनसीपी ने भरोसा जताया है.
महाविकास अघाड़ी के द्वारा 14 मुस्लिमों को दिए गए टिकट में कांग्रेस ने अपनी 101 सीटों में से 9 विधानसभा सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है. मुंबई की वर्सोवा सीट से हारुन खान को प्रत्याशी बनाया है. शरद पवार की एनसीपी ने चार मुस्लिम को टिकट दिया है. मुंबई की एक और विदर्भ में दो और मराठावाड़ा क्षेत्र में एक मुस्लिम को कैंडिडेट दिया है.
वहीं, महायुति में बीजेपी ने किसी भी मुसलमानों को भले ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में टिकट न दिया हो, लेकिन सहयोगी एकनाथ शिंदे की शिवसेना से लेकर अजीत पवार की एनसीपी ने मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया है. सीएम एकनाथ शिंदे ने दो मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. सिल्लोड सीट से अब्दुल सत्तार अब्दुल नबी को शिंदे ने प्रत्याशी बनाया है. अजीत पवार की पार्टी एनसीपी से पांच मुस्लिम प्रत्याशी उतरे हैं, जिसमें मुम्ब्रा सीट से नजीमुल्लाह, मानखुर्द नगर से नवाब मलिक, अणुशक्ति नगर से सना मलिक, बांद्रा पूर्वी से जीशान सिद्दीकी और हसन मुशरिफ को प्रत्याशी बनाया है. अजीत पवार ने 10 फीसदी मुस्लिम को टिकट देने का दावा किया है.
ओवैसी और सपा ने मुस्लिम कार्ड खेला
असदु्द्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM महाराष्ट्र की 16 सीट पर चुनाव लड़ रही है, जिसमें 12 सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है और चार सीट पर हिंदू प्रत्याशी दिए हैं. इस तरह ओवैसी ने सबसे ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. ओवैसी की तरह सपा ने भी मुस्लिम के सहारे महाराष्ट्र में अपनी सियासी जड़े जमाने की कवायद की है. सपा महाराष्ट्र की आठ सीट पर चुनाव लड़ रही है, जिसमें छह सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. सपा के मौजूदा विधायकों वाली दोनों सीटों पर महा विकास अघाड़ी ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है.
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से करीब 150 सीट पर एक भी मुस्लिम प्रत्याशी किस्मत नहीं है जबकि 50 सीटें ऐसी हैं जिनमें केवल एक मुस्लिम प्रत्याशी है. प्रमुख दलों ने मुस्लिम प्रत्याशियों को जब टिकट ही नहीं दिया है तो ज्यादातर को निर्दलीय मैदान में उतरना पड़ा है. सूबे की 218 सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार निर्दलीय किस्मत आजमा रहे हैं है. राज्य में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले शहर मालेगांव में 13 मुस्लिम प्रत्याशी हैं. राज्य के संभाजीनगर पूर्व सीट पर 17 मुस्लिम प्रत्याशी हैं. यहां तीन मुस्लिम महिलाएं भी चुनावी मैदान में हैं. राज्य में कुल 22 मुस्लिम महिलाएं इस बार चुनाव लड़ रही हैं.
मुस्लिम विधायकों के जीत का रिकॉर्ड टूटेगा
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली 15 विधानसभा सीटों में से नौ पर उन्हीं पार्टियों के उम्मीदवार जीते थे जो महा विकास अघाड़ी से थे. देवेंद्र फडणवीस सहित कई बीजेपी नेताओं ने भी माना कि कम से कम 14 लोकसभा सीटों पर बीजेपी के अगुवाई वाले महायुती की हार का कारण दलित-मुस्लिम वोटर्स का गठजोड़ रहा. मुसलमान मुख्य रूप से महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ रहे हैं, लेकिन बीच-बीच में अपना विकल्प तलाशता रहा है. मुसलमानों ने असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और सपा को वोट देकर जिताने का काम किया.
महाराष्ट्र अलग राज्य बनने के बाद से अभी तक हुए चुनाव में 13 से ज्यादा मुस्लिम विधायक कभी भी जीत नहीं सके. 1962 से लेकर 2019 तक चुनाव में मुस्लिम विधायकों की संख्या 10 फीसदी का आंकड़ा नहीं छू पाई है जबकि उनकी आबादी 12 फीसदी के करीब है. साल 1962 के चुनाव में 11 मुस्लिम विधायक जीते थे जबकि 2019 में 10 जीते हैं. 1962 में 11, 1967 में 9, 1972 में 13, 1978 में 11, 1980 में 13. 1985 में 10, 1990 में 7, 1995 में 8, 1993 में 13, 2004 में 11, 2009 में 11, 2014 में 9 और 2019 में 10 मुस्लिम विधायक जीतने में सफल हैं. 2019 के विधानसभा चुनावों में 10 मुस्लिम विधायकों में सें 9 मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों से जीते थे.
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायकों के जीतने का आंकड़ा 13 का है. साल 1972, 1980 और 1993 के चुनाव में 13-13 मुस्लिम विधायक जीतने में सफल रहे थे. 1990 में सिर्फ सात मुस्लिम विधायक जीते थे. ऐसे में सवाल उठता है कि इस बार क्या मुस्लिम विधायकों के जीतने का रिकॉर्ड 13 का आंकड़ा पार करेगा या फिर नहीं?