नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को राज्य विधानसभा में नियुक्तियों और पदोन्नतियों में कथित अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया गया था। याचिका झारखंड विधानसभा और अन्य की ओर से दायर की गई थी, जिस पर जस्टिस बी.आर.गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ सुनवाई के लिए राजी हुई। याचिका में हाईकोर्ट के 23 सितंबर के फैसले को चुनौती दी गई थी।
याचिका में क्या कहा गया था
याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट ने बिना किसी आपराधिक मामले के सीबआई को जांच का आदेश दिया। यह एक नागरिक मामले से जुड़ा हुआ केस है। राज्य की पुलिस, जांच एजेंसी मामले की जांच करने में सक्षम है और जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश सही नहीं है। इसमें यह भी कहा गया कि इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है और न ही कोई आपराधिक मामला है, जिसके आधार पर जांच शुरू की जाए। याचिका में यह भी कहा गया कि मामले में पैसे के लेन-देन का कोई सबूत नहीं है और न ही कोई धोखाधड़ी की पुष्टि हुई है।
हाईकोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट पर नहीं दिया ध्यान
याचिका में जिक्र किया गया था कि झारखंड विधानसभा सचिवालय ने 2003 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी और इसके बाद सही तरीके से नियुक्तियों और पदोन्नतियों की प्रक्रिया की गई थी। बाद में कुछ व्यक्तियों ने नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताओ के बारे में बातचीत को कथित तौर पर रिकॉर्ड किया था, जिसे झारखंड विधानसभा अध्यक्ष के पास पेश किया गया था। याचिका में यह भी कहा गया कि 2007 में इस मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई गई थी और 2018 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी थी। हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट पर गौर नहीं किया और इस रिपोर्ट पर उचित कार्रवाई नहीं की। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को करेगा।