नईदिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, ‘दिल्ली’, वायु प्रदूषण की गंभीर मार झेल रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘एक्यूआई’ 480 के पार जा चुका है। वातावरण में वायु प्रदूषण की सफेद चादर छाई हुई है। दिल्ली की जहरीली हवा के बीच 23 करोड़ रुपये की लागत से लगाया गया स्मॉग टावर धूल फांक रहा है।
सोमवार को दिल्ली के दिल यानी ‘कनॉट प्लेट’ में लगे स्मॉग टावर का जायज लिया गया । मौके पर पहुंचने के बाद मालूम हुआ कि स्मॉग टावर तो जनवरी से ही बंद पड़ा है। वायु को शुद्ध करने वाले इस टावर के 40 विशालकाय पंखे, बंद पड़े हैं। उन पर धूल जमी हुई है। वहां मौजूद कर्मियों ने नाम न बताने की शर्त पर केवल इतना ही कहा, एक दो सप्ताह में चलने की उम्मीद है। वहां मौजूद एक अन्य शख्स ने बताया, अभी तो यहां बिजली कनेक्शन के ही लाले पड़े हैं। कभी यहां काम करने वाले कर्मियों को सेलरी नहीं मिलती।
जानकार बताते हैं कि दिल्ली में फिलहाल दो स्मॉग टावर हैं, एक नई दिल्ली में और दूसरा, आनंद विहार में लगा है। दोनों ही जगहों का एक्यूआई स्तर देखेंगे तो इन टावरों के चलने की स्थिति का खुद-ब-खुद पता चल जाएगा।
राजधानी दिल्ली में सोमवार को वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई है। दिल्ली के कुछ इलाकों में एक्यूआई 480 के पार पहुंच चुका है। हवा जहरीली हो रही है। लोगों के प्राणों पर संकट के बीच वायु प्रदूषण का मामला, सर्वोच्च अदालत के समक्ष भी जा पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा, राजधानी दिल्ली में ‘ग्रेप 4’ लागू करने में इतनी देरी क्यों हुई। जस्टिस एएस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। साल 2021 में दिल्ली में 2 स्मॉग टावर लगाए गए थे। इनमें एक टावर कनॉट प्लेस में लगाया गया था। दूसरा स्मॉग टावर, आनंद विहार में लगाया गया था। स्मॉग टावर लगाने का मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इन टावरों को स्थापित किया गया। ये दोनों स्मॉग टावर, डिजाइन और आकार में एक जैसे हैं। प्रत्येक टावर 24 मीटर ऊंचा है। एक टावर के चारों तरफ 40 विशालकाय पंखे लगे हुए हैं। इनमें 5,000 हाई-एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर फिल्टर लगे हैं। इनके द्वारा हवा को फिल्टर किया जाता है। फिल्टर का डिजाइन, इस तरह से तैयार किया गया है कि इनके द्वारा प्रति सेकंड 1,000 क्यूबिक मीटर हवा को शुद्ध बनाया जा सकता है।
स्मॉग टावर की बनावट इस तरह की है कि यह ऊपर से हवा को खींचता है। उसके बाद वह हवा, फिल्टर से गुजरती है। अगली प्रक्रिया में उस हवा को 40 बड़े पंखे, नीचे की तरफ से बाहर धकेलते हैं। आईआईटी-बॉम्बे और आईआईटी-दिल्ली ने इन टावरों को भारतीय मौसम के अनुकूल तैयार करने के लिए इनमें कुछ बदलाव किए थे। चौकोर संरचना के स्मॉग टावर में आठ सेंसर लगाए गए हैं। इनकी मदद से इनलेट और आउटलेट पर प्रदूषण का स्तर मापा जाता है। कनॉट प्लेस स्थित, स्मॉग टावर पर मौजूद कर्मियों से पूछा तो उन्होंने कहा, लंबे समय से ये टावर बंद पड़ा है। जब यह टावर अपनी फुल क्षमता में चलता है तो करीब तीन माह में इसके फिल्टर बदलने पड़ते हैं। हमें याद नहीं है कि इसके फिल्टर कब बदले गए हैं। चालू हालत में इसकी सालाना लागत करीब पौने दो करोड़ रुपये आती है।
पिछले साल यह टावर एक दिन में सात से आठ घंटे काम करता था। आठ घंटे चलने की स्थिति में यह टावर 1,150 किलोवाट/घंटे के हिसाब से बिजली खपत करता है। हालांकि टावर पर मौजूद कर्मियों ने अंदर नहीं जाने दिया। उन्होंने कहा, बाहर से ही बंद टावर का वीडियो बना सकते हैं।
जानकारों के मुताबिक, अगर राष्ट्रीय राजधानी के चारों तरफ एक किमी चौड़ा जंगल और 53 स्मॉग टावर बना दिए जाएं तो दिल्ली को प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है। इस जंगल को रिंग फोरेस्ट भी कहा जाता है। दिल्ली के आसपास का अरावली क्षेत्र अब धीरे धीरे बंजर होता जा रहा है। यहां इतने बड़े पैमाने पर माइनिंग हो रही है कि ये हरा भरा इलाका बहुत जल्द राजस्थान के रेगिस्तान की तरह हो जाएगा। सरकारों का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। मनमर्जी तरीके से माइनिंग के लाइसेंस और फार्म हाउस बनाने को मंजूरी दी जा रही है। नियमों से परे हटकर, कॉमर्शियल लैंड यूज (सीएलयू) सर्टिफ़िकेट बांटा जा रहा है। इसके चलते यहां पर जंगल खत्म हो गए हैं। बाहरी दिल्ली के चारों ओर एक किलोमीटर चौड़ा या उससे कम ज्यादा क्षेत्र वाला जंगल बनाया जा सकता है। इसके लिए केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति का होना जरुरी है। रिंग फोरेस्ट और स्मॉग टावर, यदि इस योजना पर काम किया जाए तो दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 के आसपास रह सकता है।
स्मॉग टावर अलग अलग क्षमता वाले होते हैं। जैसे चीन में जिन टावर का इस्तेमाल किया जाता है, उनकी लंबाई 50 से सौ मीटर तक होती है। ये टावर दस किलोमीटर के दायरे में हवा को साफ कर देता है। अगर दिल्ली की बात करें तो यहां 53 छोटे स्मॉग टावर लगाने होंगे। यह टावर करीब तीन किलोमीटर के क्षेत्र की हवा को साफ कर सकता है। 40 फीट लंबे और 20 फीट चौड़े ये टावर प्रतिदिन 32 मिलियन क्यूबिक मीटर हवा को साफ करने की क्षमता रखते हैं। 3 किलोमीटर के दायरे में स्वच्छ हवा मिलने का लाभ 75,000 लोगों को मिलेगा। टावर में लगे शोधक सभी कोणों से हवा ग्रहण करेंगे और बदले में प्रति घंटे 13,00,000 घन मीटर स्वच्छ हवा बाहर फेकेंगे। टावर में लगे क्लीनर 99.99 प्रतिशत प्रदूषकों को साफ करने के लिए नौ चरणों में भौतिक फिल्टर के जरिए काम करते हैं। ये फिल्टर पार्टिकुलेट मैटर 10 और ऊपर के कणों को हटा देते हैं। एच 14 ग्रेड वाले फिल्टर (अत्यधिक प्रभावी पार्टिकुलेट एरेस्टेंस) पीएम 2.5 कण (छोटे कण) को 99.99 प्रतिशत तक साफ करने में सक्षम होते हैं।
खास बात है कि ये टावर यानी वायु-शोधक इलेक्ट्रिक ग्रिड सौर ऊर्जा पर भी काम करते हैं। चीन के ज़ियान में स्मॉग टावर बड़ी सफलता को देखा जा सकता है। ये टावर 10 मिलियन क्यूबिक मीटर हवा को सफलतापूर्वक साफ करने में सक्षम हैं। छोटे टावर को सिटी क्लीनर भी कहा जाता है। यदि जियान स्मॉग टावर और सिटी क्लीनर के अंतर की बात करें तो सामने आता है कि सिटी क्लीनर चीन के स्मॉग टॉवर से काफी बेहतर है।चीन का जियान स्मॉग टावर हवा को साफ करने के लिए आयनाइजेशन तकनीक का उपयोग करता है।इसमें हवा का आयनीकरण प्रदूषकों को पूरी तरह नहीं मिटाता है, लेकिन वह ऑक्सीजन से प्रदूषकों को अलग कर देता है। यह समस्या का पर्याप्त समाधान नहीं है। सिटी क्लीनर में हवा का आयनीकरण पूरी तरह प्रदूषकों को खत्म करता है।
दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित स्मॉग टॉवर को लेकर राजनीति भी होती रही है। जब यह टावर बंद हुआ तो दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, सभी अधिकार चंद अधिकारियों के हाथ में दे दिए गए हैं। उस वक्त कहा गया था कि वेतन में देरी के कारण टावर को संचालित करने वाले कर्मियों ने इसे बंद कर दिया था। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा।
गत वर्ष मरम्मत होने के बाद इसे चालू करने का निर्देश दिया गया। भारद्वाज का कहना था कि अधिकारियों ने पहले स्मॉग टावर को चलने नहीं दिया। कोर्ट से फटकार लगी तो स्मॉग टावर चला। वायु प्रदूषण के विरोध में भाजपा नेता शहजाद पूनावाला चेहरे पर रेस्पिरेटर (मास्क) लगाकर स्मॉग टॉवर पहुंचे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के कारण दिल्ली गैस चैंबर बन गई है। जिस स्मॉग टावर पर 23 करोड़ रुपये खर्च किए, उस पर ताला लगा दिया गया है। आप ने प्रदूषण कम करने के नाम पर लोगों को धोखा दिया है। दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहर बनाने का काम किया जा रहा है, इसका पर्दाफाश किया जाएगा।