छत्तीसगढ़

गूगल मैप रास्ता दिखाने के लिए कहां-कहां से जुटाता है जानकारी, कब इसके फेल होने का खतरा? बरेली में 3 मौतों से उठा सवाल

नईदिल्ली : गूगल मैप पर 100 फीसदी भरोसा करके सफर तय करना जानलेवा हो सकता है. उत्तर प्रदेश के बरेली में इसके सहारे सफर कर रहे कार सवारों के साथ यही हुआ. जीपीएस ने कार चालक को अधूरे पुल का रास्ता दिखाया और कार पुल से नीचे गिर गई. हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई. गूगल मैप के कारण होने वाला यह कोई पहला हादसा नहीं है. इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं.

ऐसे में सवाल है कि गूगल मैप कैसे रास्ता दिखाता है, कहां-कहां से डाटा इकट्ठा करके रास्ता बताने का काम करता है और कब इसके फेल होने का खतरा रहता है? जानिए इन सवालों का जवाब.

कहां-कहां से डाटा इकट्ठा करके रास्ता बताता है

कहीं भी जाने के लिए यूजर गूगल मैप ऐप पर टैप करके रास्ता पूछ लेता है. जाम या नहीं, यह देख लेता है और अब AQI भी देखा जा सकता है, लेकिन गूगल यह सबसे कैसे कर पाता है, कभी यह सोचा है. आइए इसे समझते हैं. गूगल अपनी मैप सर्विस के लिए कई तरह से डाटा जुटाता है और इसके आधार पर रास्ता बताता है. सबसे पहले वो सैटेलाइट इमेज के जरिए रूट की तस्वीर को तैयार करता है. इसे तैयार करने में गूगल एरियल फोटोग्राफी का भी इस्तेमाल करता है. ट्रैफिक सिग्नल कैमरा, जीपीएस, यूजर इनपुट और स्ट्रीट मैप के जरिए गूगल डाटा तैयार करता है.

डाटा और तस्वीरों की एनालिसिस

गूगल की मैप सर्विस सारे इनपुट के साथ रियल टाइम डाटा की एनालिसिस करता है और इसके आधार पर रास्ता दिखाता है. गूगल मैप जीपीएस सिस्टम के जरिए यूजर की लोकेशन और मंजिल के बीच का रास्ता बताता है. मोड़ से पहले वॉयस के जरिए यूजर्स को अलर्ट भेजता है. यह सबकुछ इसलिए संभव हो जाता है क्योंकि गूगल कई तरह से डाटा को इकट्ठा करता है.

सड़क की क्या स्थिति है, यह स्ट्रीट व्यू के जरिए पता चलती है. स्ट्रीट व्यू के लिए वो कैमरे जिम्मेदार होते हैं जो गूगल को मौजूदा हालात की जानकारी देते हैं. इनके जरिए गूगल तक सड़कों की 360 डिग्री तस्वीर पहुंची है. इन सबकी प्रॉसेसिंग के बाद ही गूगल मैप के जरिए आप तक जानकारी पहुंचाता है.

कब फेल हो सकता है गूगल मैप, अब इसे समझें

विशेषज्ञ कहते हैं, गूगल मैप मदद के लिए है, लेकिन इस पर आंख बंद करके भरोसा करना सही नहीं है. गूगल मैप बड़ी जगहों के लिए बेहतर काम करता है, लेकिन जब नई सड़क या तंग गली को समझने की बारी आती है तो कई बार यह रास्ता उतना सटीक नहीं बता पाता. ऐसे में यह आपको परेशानी में डाल देता है.

ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि गूगल को सैटेलाइट इमेज और दूसरे साधनों से जानकारी तो मिल जाती है कि फला जगह पर सड़क है, लेकिन नई सड़कों के मामलों में और पुरानी तंग गलियों की अथॉटिसिटी पर 100 फीसदी विश्वास करना मुश्किल होता है.

ऐसे में आसपास के इंसान से पूछ सकते हैं. इंटरनेट हमेशा दुरुस्त रखें. अगर रास्ता थोड़ा अजीब लगे या सन्नाटा जरूरत से ज्यादा नजर आए तो अलर्ट हो जाएं. ऐसे में आंख बंद करके आगे बढ़ने से बेहतर है किसी से बात कर लिया जाए.