छत्तीसगढ़

पश्चिम एशिया में चल रही जंग की आग होगी शांत!; इस्राइल ने लेबनान युद्ध विराम पर जताई सहमति

तेल अवीव: बीते 14 महीने से हमास और उसके समर्थक गुटों के साथ चल रहे युद्ध के बाद अब इस्राइल ने लेबनान के साथ युद्ध विराम पर सहमति जताई है। इस्राइल की सुरक्षा कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के बाद अब यह समझौता तत्काल प्रभाव से लागू होने की उम्मीद है।समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, सुरक्षा कैबिनेट (नेतन्याहू सरकार के तहत देश की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था) ने कथित तौर पर युद्ध विराम पर सहमति व्यक्त की है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने खुद भी अस्थायी युद्ध विराम समझौते पर अपनी सहमति जताई है। हालांकि अभी लेबनान ने इसे लेकर कोई औपचारिक सहमति नहीं जताई है। इससे पहले, लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बोउ हबीब ने इटली में जी-7 बैठक में कहा था कि मंगलवार रात तक युद्ध विराम हो जाएगा।

गौरतलब है कि पिछले साल 7 अक्तूबर को इस्राइल में घातक हमला हुआ था जिसके बाद पश्चिमी एशिया में तनाव फैल गया। यह संघर्ष बाद में कई मोर्चों पर शुरू हो गया जिसमें इस्राइल और लेबनान में मौजूद गुट हिजबुल्ला भी आपस में भिड़ गए। इस्राइल और हिजबुल्ला की खूनी जंग में लेबनान में 3750 से अधिक लोग मारे गए हैं और 10 लाख से अधिक लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा है। 

संघर्ष विराम की शर्तें क्या हैं? 

उत्तरी मोर्चे पर लड़ाई को समाप्त करने वाले समझौते में शुरुआती दो महीने के युद्ध विराम की बात कही गई है। समझौते के तहत इस्राइली सेना को दक्षिणी लेबनान से हटना होगा और लेबनानी सेना को 60 दिनों के भीतर इस क्षेत्र में तैनात करना होगा, जो हिजबुल्ला का गढ़ है। वहीं हिजबुल्ला लितानी नदी के दक्षिण में सीमा पर अपनी सशस्त्र मौजूदगी खत्म कर देगा, जो इस्राइल की सीमा से लगभग 18 मील दूर है। दक्षिणी लेबनान में लितानी नदी हिजबुल्ला और इस्राइली के बीच वर्तमान संघर्ष का केंद्र बनी हुई है। इस्राइल, हिजबुल्ला को लितानी नदी से आगे जाने पर जोर दे रहा है और उसने प्रस्ताव दिया है कि लेबनानी सेना और यूनिफिल (लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल) सीमा के बीच और नदी के दक्षिण के क्षेत्र में गश्त करें।

समझौते के बाद क्या क्या बदलेगा? 

युद्ध विराम समझौते के बाद एक अंतरराष्ट्रीय समिति गठित की जाएगी ताकि संधि के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 के क्रियान्वयन की निगरानी की जा सके। दरअसल, यूएनएससी के 1701 प्रस्ताव को 2006 में इस्राइल और हिजबुल्ला के बीच एक महीने तक चले युद्ध को समाप्त करने के लिए पारित किया गया था, लेकिन कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं किया गया। हिजबुल्ला ने दक्षिणी लेबनान में अपनी मौजूदगी कभी खत्म नहीं की, जबकि लेबनान का दावा है कि इस्राइल नियमित रूप से उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करता है और उसके क्षेत्र के छोटे-छोटे हिस्सों पर कब्जा करता है।

जैसे ही इस्राइली सेना दक्षिणी लेबनान से हटेगी, लेबनानी सेना इन खाली क्षेत्रों में हजारों सैनिकों को तैनात करेगी। इसके साथ ही लेबनानी सेना दक्षिणी लेबनान में पहले से ही मौजूद संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक बल को भी तैनात करेगी।

इस्राइली मीडिया के अनुसार, इस्राइल की सेना पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर वापस लौट जाएगी। इसके अलावा, लेबनानी नागरिकों को दक्षिणी लेबनान के गांवों और कस्बों में अपने घरों में लौटने की अनुमति दी जाएगी, जिन्हें उन्होंने खाली कर दिया था।

इस्राइल ने ये मांग भी की

वार्ता में इस्राइल ने यह भी मांग की है कि हिजबुल्ला द्वारा समझौते का उल्लंघन किये जाने की स्थिति में उसे कार्रवाई की स्वतंत्रता दी जाए। इस्राइली अधिकारी इस बात से भी चिंतित हैं कि कहीं हिजबुल्ला वैसा ही हमला न कर दे जैसा हमास ने 7 अक्तूबर 2023 को गाजा से दक्षिणी इस्राइल में किया था। 

युद्ध विराम योजना में इन देशों की भी भूमिका

लेबनान और इस्राइल इस बात पर असहमत थे कि कौन से देश युद्ध विराम समझौते और यूएनएससी के प्रस्ताव के क्रियान्वयन की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय समिति में शामिल होंगे। हिब्रू मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस बात पर सहमति बनी कि अमेरिका इस समझौते के कार्यान्वयन की निगरानी करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था का नेतृत्व करेगा और फ्रांस उस पैनल में शामिल होगा।

युद्ध विराम का असर क्या हो सकता है?

इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अगुवाई में रविवार रात को सुरक्षा संबंधी एक बैठक हुई थी। इस दौरान इस्राइल के नेताओं और रक्षा से जुड़े लोगों ने युद्ध विराम सौदे के लिए सर्वसम्मति से समर्थन किया। उसी बैठक में नेतन्याहू ने कहा कि इस समझौते से हमास गाजा में अलग-थलग पड़ जाएगा और बंधक समझौते की संभावना बढ़ जाएगी। 

इस्राइल और हिजबुल्ला के बीच युद्ध विराम से क्षेत्रीय तनाव में काफी हद तक कमी आने की उम्मीद है, जिसके कारण इस्राइल और ईरान के बीच सीधे युद्ध की आशंका है। हालांकि, यह देखना होगा कि इसका गाजा में इस्राइल-हमास युद्ध पर क्या प्रभाव पड़ेगा। हिजबुल्ला लंबे समय तक यह कहता रहा कि वह गाजा में युद्ध खत्म होने तक संघर्ष विराम के लिए सहमत नहीं होगा, लेकिन अब उसने यह शर्त छोड़ दी है।

विश्लेषकों का कहना है कि हिजबुल्ला कमजोर हो गया है, लेकिन वह इस्राइल पर लगातार हमले जारी रखे हुए है। रविवार को हिजबुल्ला ने बेरूत में घातक इस्राइली हमलों के जवाब में इस्राइल में लगभग 250 रॉकेट और अन्य प्रोजेक्टाइल दागे, जिसमें सात लोग घायल हो गए। दक्षिणी लेबनान में हिंसक झड़पें जारी हैं क्योंकि इस्राइली सेना रणनीतिक शहरों पर नियंत्रण करने का प्रयास कर रही है।

इस्राइल का कहना है कि हिजबुल्ला के साथ युद्ध में उसका लक्ष्य विस्थापित इस्राइलियों को सुरक्षित घर वापस लाना है। लेबनान में एक चौथाई आबादी विस्थापित हो गई है और देश के कुछ हिस्से, विशेष रूप से दक्षिणी लेबनान और राजधानी बेरूत के दक्षिणी इलाकों में, नष्ट हो गए हैं।