मुम्बई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के सामने सरेंडर करके इतना तो तय कर दिया है कि वो खुद मुख्यमंत्री पद की रेस में नहीं है, लेकिन सस्पेंस अब भी खत्म नहीं हुआ है. क्योंकि भले ही शिंदे ने कह दिया है कि मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा और वो उसका समर्थन करेंगे, लेकिन बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा कौन, इस पर अब भी सस्पेंस है. और इस सस्पेंस की वजह हैं खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्हें महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री का नाम तय करना है.
एकनाथ शिंदे के एलान के बाद तय है कि मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा. और इस बयान के बाद मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे देवेंद्र फडणवीस ही हैं. लेकिन क्या बीजेपी से देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री होंगे, इसपर तो अभी तक किसी ने मुहर नहीं लगाई है. शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जो तय करेंगे, वो मान्य होगा. लेकिन अभी तक न तो पीएम मोदी ने, न ही गृहमंत्री अमित शाह ने, न ही बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने और न ही महाराष्ट्र के प्रभारी भूपेंद्र यादव ने देवेंद्र फडणवीस के नाम की मुहर लगाई है. और बीजेपी में पीएम मोदी-गृहमंत्री अमित शाह का मुख्यमंत्री चेहरा चुनने का जो इतिहास रहा है, उससे कुछ भी तय कर पाना कतई आसान नहीं रह गया है.अभी पिछले ही कुछ चुनावों की बात करें तो मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते चुनाव हुए, लेकिन जीत के बाद मुख्यमंत्री बने मोहन यादव.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा रमन सिंह थे, लेकिन जीत के बाद मुख्यमंत्री बने विष्णुदेव साय. राजस्थान में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा वसुंधरा राजे थीं, लेकिन भरे मंच पर उनके ही हाथों इस बात का ऐलान करवाया गया कि भजन लाल शर्मा राजस्थान के नए मुख्यमंत्री होंगे. हां अभी का हरियाणा अपवाद है, जिसमें नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हुआ और फिर जीत के बाद भी नायब सिंह सैनी ही मुख्यमंत्री बन गए.
और दूसरे नेताओं की क्या ही बात करनी, महाराष्ट्र में जब 2014 के चुनाव में बीजेपी की जीत हुई थी, तब भी बीजेपी ने एक गैर मराठा देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाकर चौंका दिया था. उसी साल झारखंड में भी गैर आदिवासी समुदाय के रघुवर दास और हरियाणा में गैर जाट नेता मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया था, जिसने पूरे देश की राजनीति में हलचल मचा दी थी. बड़े-बड़े नेताओं ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की राजनीतिक समझ पर भी सवाल खड़े किए थे, लेकिन अगले चुनावों में साफ हो गया कि केंद्रीय नेतृ्त्व ने जो नए-नए मुख्यमंत्री बनाए, उनका नाम तय करना कोई संयोग नहीं बल्कि सियासी प्रयोग था जो सफल रहा था. ऐसे में 132 सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी का आलाकमान महाराष्ट्र में कोई सियासी प्रयोग कर दे, तो किसी को शायद ही कोई हैरत होगी. .