नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (02 दिसंबर, 2024) को दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) ग्रैप-4 को सही से लागू नहीं करने को लेकर चिंता व्यक्त की. कोर्ट ने कहा कि हवा की गुणवत्ता के खतरनाक स्तर के बावजूद, जीआरएपी चरण IV के तहत उल्लिखित उपायों के गंभीर क्रियान्वयन में कमी रही है, जो तब शुरू होता है जब वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक गिर जाती है.
ऐसे में दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप 4 पाबंदियां गुरुवार, 5 दिसंबर तक लागू रहेंगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पहले देखना चाहता है कि प्रदूषण के स्तर में कितनी गिरावट आई है. ग्रैप 4 पाबंदियों के चलते निर्माण कार्य रुकने से प्रभावित मज़दूरों को मुआवजा देने में राज्यों के ढीले रवैये से कोर्ट नाखुश दिखा. साथ ही दिल्ली, यूपी, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिवों को गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए सुनवाई से जुड़ने को कहा.
दिल्ली में धड़ल्ले से एंट्री कर रहे ट्रक
कोर्ट ने अपनी तरफ से नियुक्त कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट देख कर उनकी सुरक्षा पर चिंता जताई. कुछ कमिश्नरों ने बताया था कि दिल्ली के कई एंट्री पॉइंट्स पर लाइट तक नहीं है. कुछ जगहों पर स्थानीय दबंग लोगों के ट्रक बेरोकटोक दिल्ली में दाखिल हो रहे हैं. एक कोर्ट कमिश्नर को बाबा हरिदास नगर थाने के SHO ने यह जानकारी दी थी. कोर्ट ने अगली सुनवाई में SHO को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा.
‘पूर्ण समाधान चाहते हैं’
बीते गुरुवार को पिछली सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चरण IV के खराब कार्यान्वयन के लिए भी अधिकारियों की आलोचना की थी. पीठ ने कहा कि वह इस संकट का दीर्घकालिक समाधान खोजने का इरादा रखती है.
जस्टिस ओका ने कहा, “हम जो करने का प्रस्ताव रखते हैं, वह यह है कि हम मामले की विस्तृत सुनवाई करेंगे. हम मामले की जड़ तक जाना चाहते हैं और विस्तृत निर्देश जारी करना चाहते हैं. कुछ तो करना ही होगा. हर साल यह समस्या नहीं आ सकती. इसे तार्किक निष्कर्ष तक ले जाना होगा.”