नईदिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संविधान के 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा हुई। इस दौरान कन्नौज से सपा सांसद अखिलेश यादव भाजपा पर तंज कसते हुए कविता पढ़ी। इस दौरान अखिलेश ने कहा कि चुनाव के वक्त वोट डालने जा रहे लोगों को डराया-धमकाया गया। कई लोगों को वोट डालने से रोका गया।
अखिलेश ने पूछा क्या यही लोकतांत्रिक गणराज्य है? कहा कि कई जगहों पर हमारी सीमाएं सिकुड़ रहीं हैं। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि यह संविधान हमारी ढाल है, हमारी सुरक्षा है, यह हमें समय-समय पर शक्ति प्रदान करता है। संविधान शोषित, उपेक्षित, पीड़ित और वंचितों के अधिकारों का सच्चा संरक्षक है।
यह संविधान बहुत बड़ा सहारा है। हमारे जैसे लोगों और देश के कमजोर लोगों के लिए, खासकर PDA के लिए संविधान बचाना जीवन-मरण का सवाल है। इस दौरान अखिलेश यादव ने जातीय जनगणना पर कहा कि यह होनी चाहिए। हमें मौका मिला तो जातीय जनगणना कराएंगे। ये नहीं करा पाएंगे तो हम जातीय जनगणना कराएंगे।
संसद में बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि 2014 के बाद जिस गति से असमानताएं बढ़ी हैं, वो अकल्पनीय है। देश के 140 करोड़ लोगों में से 82 करोड़ लोग सरकारी राशन पर गुज़ारा कर रहे हैं। जो लोग देश को बताते हैं कि हम दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन रहे हैं।
मैं उस सरकार से कहना चाहता हूं कि जब 82 करोड़ लोग सरकारी राशन पर गुज़ारा कर रहे हों और दूसरी तरफ़ देश की 2/3 संपत्ति सिर्फ़ कुछ परिवारों के कब्ज़े में हो – अगर सरकार में हिम्मत है। जब सरकार समय-समय पर अपने आंकड़े जारी करती है, तो उसे ये आंकड़े भी जारी करने चाहिए कि ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वालों की प्रति व्यक्ति आय कितनी है।
अखिलेश ने आगे कहा कि डबल इंजन की सरकार में अब डिब्बे भी टकराने लगे हैं। न्याय मांगने के लिए आत्मदाह तक करना पड़ रहा है। हिरासत में मौत के मामले में नंबर वन हो रहा है यूपी। अखिलेश ने कहा कि हमें अग्निवीर योजना कभी मंजूर नहीं होगी। पहले की तरह भर्ती होगी तो सीमाएं सुरक्षित रहेंगी।
कई जगहों पर हमारी सीमाएं सिकुड़ रहीं हैं। इस सरकार में लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ हुआ है। हालांकि अब 400 पार के नारे को जनता ने नकार दिया है। इस दौरान अखिलेश ने संसद अटैक में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। कहा कि कहा कि आज सीमाओं की रक्षा करना संप्रभु का सबसे अहम कर्तव्य है। लेकिन, हमारे मंत्री बेहतर जानते होंगे कि कई जगह पर हमारी सीमा सिकुड़ रही हैं।