नईदिल्ली : किसान नेताओं ने 18 दिसंबर को ‘रेल रोको’ आंदोलन का आह्वान करते हुए केंद्र सरकार पर अपना विरोध तेज करने की योजना बनाई है. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने देशभर में बड़े आंदोलन कर ऐलान करते हुए कहा कि 16 दिसंबर को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा और 18 दिसंबर को हमने पंजाब में रेल रोको का आह्वान किया है.
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा “मैं पंजाब के लोगों से 18 दिसंबर को ‘रेल रोको’ आंदोलन में भाग लेने की अपील करना चाहता हूं. हम पंजाब के सभी 13,000 गांवों के लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे रेलवे पटरियों के पास रहते हैं और अपने निकटतम रेलवे क्रॉसिंग और रेलवे स्टेशनों को दोपहर 12 से 3 बजे तक बाधित करें,”
राकेश टिकैत के नेतृत्व वाली एसकेएम को किया आमंत्रित
रिपोर्ट के मुताबिक पंढेर ने बताया कि 101 किसानों के एक जत्थे ने 6 दिसंबर, 8 दिसंबर और फिर 14 दिसंबर को पैदल दिल्ली में प्रवेश करने का प्रयास किया, लेकिन हरियाणा के सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी. पुलिस ने दिल्ली में प्रवेश करने का प्रयास करने वाले किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे, जिसमें लगभग 17 लोग घायल हो गए. पंढेर ने राकेश टिकैत के नेतृत्व वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को भी पत्र लिखा, जिसने अब निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से चल रहे आंदोलन की अगुआई की, ताकि पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से जुड़ सकें.
‘मतभेद को भूल कर आए साथ’
पंढेर ने कहा, “हमने उन भाइयों की तरफ हाथ बढ़ाया है जो दिल्ली आंदोलन-2 (दिल्ली चलो मार्च) में भाग नहीं ले सके. हमने उनसे किसानों और मजदूरों के हित में जो भी मतभेद (यूनियनों के बीच) हैं, उन्हें भूलने के लिए कहा है. हमने अपने भाइयों को एक पत्र लिखा है, हम उनसे (एसकेएम) सकारात्मक संदेश की उम्मीद करते हैं,”
पंजाब को छोड़कर देशभर में ट्रक्टर मार्च
पंढेर ने 16 दिसंबर को देशभर में ट्रैक्टर मार्च करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि 16 दिसंबर को पंजाब को छोड़कर देश के बाकी राज्यों में ट्रैक्टर मार्च होगा. इसके बाद 18 दिसंबर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक पंजाब में हर जगह पर पूरी तरह रेलों को जाम किया जाएगा. “
2020 का किसान आंदोलन
2020 में किसानों का बड़ा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला, हजारों किसान, मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से, केंद्र सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सीमा बिंदुओं सिंघू, टिकरी, और गाजीपुर पर एक साल तक डेरा डाले रहे. यह आंदोलन देश के इतिहास में सबसे बड़े और लंबे समय तक चलने वाले किसान आंदोलनों में से एक बन गया.