छत्तीसगढ़

 पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का निधन, देशभर में शोक की लहर, कांग्रेस के कार्यक्रम रद्द; जानिए अपडेट

नई दिल्ली । वयोवृद्ध कांग्रेस नेता और देश के 14वें प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 साल की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर है। कांग्रेस पार्टी ने अपने तमाम कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था।

 पीएम मोदी ने जताया शोक

पीएम मोदी ने भी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा- भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक, डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक व्यक्त करता है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी। संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।

डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर AIIMS का आधिकारिक बयान

गुरुवार रात अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी। उन्हें रात 8:06 बजे एम्स के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया। हालांकि, डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बाद भी उन्हें नहीं बचाया जा सका। रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

पूर्व प्रधानमंत्री के निधन से देशभर में शोक की लहर, कांग्रेस के कार्यक्रम रद्द; जानिए अपडेट

डॉ मनमोहन सिंह का निधन 92 साल की आयु में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया। लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ। देश के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार का लगातार दो बार नेतृत्व किया। 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रहे। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर है। कांग्रेस पार्टी ने अपने तमाम कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। पीएम मनमोहन सिंह के निधन की पुष्टि दिल्ली कांग्रेस के आधिकारिक एक्स हैंडल पर की गई। इसके अलावा कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल पर डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रकट किया।

अपने मृदुभाषी और विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाने वाले मनमोहन सिंह अक्तूबर 1991 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने थे। इसके बाद वे लगातार छह बार उच्च सदन के सदस्य बने। वे कभी लोकसभा से नहीं आ सके। हालांकि 1999 में मनमोहन सिंह ने दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमें वे भाजपा के विजय कुमार मल्होत्रा से हार गए थे। ये उनके जीवन का पहला और आखिरी लोकसभा चुनाव था। एक अक्तूबर, 1991 से 14 जून, 2019 तक वे लगातार पांच बार असम से राज्यसभा सदस्य रहे। 2019 में दो महीने के अंतराल के बाद वे राजस्थान से फिर राज्यसभा आए। वे 1991 से 1996 तक नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे। बाद में 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे थे। इतना ही नहीं, 21 मार्च, 1998 से 21 मई, 2004 तक वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। इसके बाद जब वे 2004 और 2014 के बीच प्रधानमंत्री थे, तब भी वह सदन के नेता थे।

इतने पद पर रह चुके हैं मनमोहन सिंह
26 सितंबर, 1932 को गाह गांव (पाकिस्तान का पंजाब प्रांत) में जन्मे सिंह ने क्रमशः 1952 और 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपना इकोनॉमिक ट्रिपोस पूरा किया। फिर 1962 में वो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल किया। डॉक्टर सिंह विदेश व्यापार मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार और वित्त मंत्रालय के सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1976 से 1980 तक भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक और फिर 1982 से 1985 तक गवर्नर के रूप में कार्य किया। वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 

‘कभी पपेट सीएम तो कभी मौनमोहन सिंह कहे गए’
बतौर पीएम और बाद में भी मनमोहन सिंह अक्सर आलोचनाओं से घिरे रहे। कभी भाजपा द्वारा उन्हें भ्रष्टाचार से घिरी सरकार चलाने तो कभी पपेट पीएम कहा गया। वहीं भाजपा ने कई बार उन्हें मौनमोहन सिंह कहा। उनपर गांधी परिवार से ऑर्डर लेकर सरकार चलाने के आरोप भी लगे। बावजूद इसके प्रधानमंत्री पद से रिटायर होते समय मनमोहन सिंह ने कहा था, ‘मुझे ईमानदारी से उम्मीद है कि इतिहास मेरी समीक्षा करते वक्त दयाभाव रखेगा।’

जब बतौर वित्त मंत्री की आर्थिक सुधारों की शुरुआत
देश के लिए डॉक्टर मनमोहन सिंह का सबसे बड़ा योगदान वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक सुधारों की शुरुआत करना है। वर्ष 1991 में भारत का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संतुलन निराशाजनक घाटे में था। 1991 में इसका विदेशी कर्ज 35 बिलियन डॉलर से दोगुना होकर 69 बिलियन डॉलर हो गया था। भारत के पास पैसा और समय दोनों बहुत कम थे। तब हमारे चालू खाते के घाटे से निपटने के लिए एक आपातकालीन उपाय के रूप में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए लगभग 400 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास अपनी सोने की हिस्सेदारी गिरवी रख दी।

इसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधारों की एक श्रृंखला डॉक्टर सिंह ने शुरू की जिसे उन्होंने “मानवीय चेहरे के साथ सुधार” कहा। औद्योगिक नीति, 1991 की शुरुआत के साथ लाइसेंस राज को खत्म करने की प्रस्तावना लिखी गई। इस संकट से उबरने के लिए मनमोहन सिंह ने इस बजट में भारतीय बाजार को विदेशी कंपनियों के लिए खोल दिए।

इस कदम से सरकार को चंद महीनों में ही पहली सफलता मिली, जब दिसंबर 1991 में भारत सरकार विदेशों में गिरवी रखा सोना छुडवा कर आरबीआई को सौंपने में कामयाब रही। देश में ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत 1991 में सिंह ने ही की थी। उन्होंने भारत को दुनिया के बाजार के लिए तो खोला ही, बल्कि निर्यात और आयात के नियमों को भी सरल बनाया। डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधारों की कवायद की और उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की ओवरहॉलिंग में महत्वपूर्ण योगदान दिया है इससे कोई इंकार नहीं कर सकता।

बीते कुछ समय से स्वास्थ्य ठीक नहीं
बीते कुछ समय से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था । उन्हें अक्सर व्हीलचेयर पर राज्यसभा की कार्यवाही में भाग लेते देखा जाता था। हाल ही में राज्यसभा में सेवानिवृत्त सदस्यों की विदाई के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनमोहसिंह की भूमिका की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा। पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि कई बार यह देखा गया था कि वह व्हीलचेयर पर रहते हुए वोट देने आए और उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत बनाया।