मेलबर्न। भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर जाए और वहां ऑस्ट्रेलियाई मीडिया कोई विवाद खड़ा न करे, ऐसा हो ही नहीं सकता। इस प्रथा को जारी रखते हुए ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने दुनिया के सबसे चहेते और दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली पर निशाना साधा है। गुरुवार को मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट के दौरान विराट का ऑस्ट्रेलिया के नए ओपनर सैम कोंस्टास से गहमागहमी हुई थी। हालांकि, कोंस्टास ने इस मामले को इतना तूल नहीं दिया, जितने ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने इसे तूल दिया। उन्होंने कोहली के लिए क्लोन यानी जोकर जैसे शब्द का इस्तेमाल किया है। इससे ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का दोहरा चरित्र सामने आया है, क्योंकि उनके खिलाड़ियों द्वारा की गई बदतमीजी पर उन्होंने हमेशा चुप्पी साधी और कभी अपने खिलाड़ियों के खिलाफ कुछ नहीं छापा।
विराट कोहली और रिकी पोंटिंग – फोटो : IPL/BCCI
ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेड पंडितों ने भी कोहली पर निशाना साधा
ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेड पंडितों ने भी कोहली पर ही निशाना साधा था। कोंस्टास वाले मामले के बाद रिकी पोंटिंग ने इसमें कोहली की गलती बताई थी। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व महान क्रिकेटर कैरी ओ कीफ तक ने विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘कोहली ने अपना पूरा करियर सिर्फ अहंकार के बलबूते बनाया है। अब उन्होंने देखा कि एक डेब्यू कर रहा खिलाड़ी भी उनकी ही तरह बर्ताव कर रहा है तो उन्हं अच्छा नहीं लगा। मुझे लगता है कि वह मुश्किल में हैं।’
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के सीईओ निक हॉकले ने भी कोहली को गलत बताया था। उन्होंने कहा, ‘यह देखकर बहुत अच्छा नहीं लग रहा था, मेरा मतलब है कि आप जानते हैं कि क्रिकेट के मैदान पर शारीरिक टकराव पूरी तरह से वर्जित है, इसलिए यह बहुत अच्छा नहीं था। मुझे लगता है कि विराट ने आरोप स्वीकार करके स्पष्ट रूप से जिम्मेदारी ली है।’
सिर्फ हॉकले नहीं, पोंटिंग, स्टीव वॉ जैसे दिग्गजों ने भी आईसीसी की आलोचना की थी। कोंस्टास वाले मामले में कोहली पर मैच फीस का 20 प्रतिशत जुर्माना लगा था और उन्हें एक डिमेरिट अंक दिया गया था। कोंस्टास वाले मामले के बाद ऑस्ट्रेलिया का इस तरह कोहली को निशाने पर लेना इस बात को बताता है कि वे कोहली से कितना डरे हुए हैं। इसकी शुरुआत तब ही हो गई थी जब भारतीय टीम ब्रिस्बेन से मेलबर्न पहुंची थी। मेलबर्न एयरपोर्ट पर ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार से जरा सी बातचीत को ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने तूल दिया था और कोहली की ही गलती बताई थी।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने कोहली के लिए लिखीं आपत्तिजनक बातें
ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट पंडित समाप्त नहीं हुए थे कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया शुरू हो गई। वेस्ट ऑस्ट्रेलियन अखबार ने विराट के लिए ‘क्लोन’ (जोकर) शब्द का इस्तेमाल किया। ‘द डेली टेलीग्राफ’, ‘कोड स्पोर्ट्स’ के लिए आर्टिकल लिखने वाले ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार ने हेराल्ड सन के लिए अपने कॉलम में विराट कोहली पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा- क्रिकेट विराट कोहली की हरकतों के साथ खड़े रहने में विफल है। उन्होंने लिखा कि जो अपराध कोहली ने किया, उसके हिसाब से उन्हें मिली सजा बेहद कम है।’ वहीं, एक और ऑस्ट्रेलियाई अखबार ने कोहली के मुंह में पेसिफायर ठूस दिया है। इस आर्टिकल की हेडिंग ‘किंग कॉन’ है। किंग शब्द का इस्तेमाल कोहली के लिए होता है, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने बदतमीजी करते हुए किंग के साथ कोंस्टास के नाम का शॉर्ट फॉर्म रखा है।
ऑस्ट्रेलिया के सेन क्रिकेट ने लिखा कि आईसीसी को अपना काम करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि एमसीजी टेस्ट ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर विराट का आखिरी टेस्ट हो। यह कोहली- कोंस्टास वाली घटना के कुछ घंटों बाद प्रकाशित किया गया था। उन्होंने लिखा, ‘अगर आईसीसी अपना काम करती है, तो बॉक्सिंग डे ऑस्ट्रेलियाई धरती पर विराट कोहली का आखिरी टेस्ट होना चाहिए।’ हालांकि, जुर्माने के एलान के बाद सेन क्रिकेट ने एक और आर्टिकल पब्लिश किया। इसमें लिखा था, ‘आईसीसी और विश्व क्रिकेट के लिए शर्मनाक फैसला। क्या विराट कोहली को विशेष उपचार दिया गया था?’
सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने लिखा, ‘सैंडपेपर-गेट स्कैंडल ने ने विराट कोहली को निलंबन से बचाया’। इस आर्टिकल में इस बात पर जोर दिया गया है कि इस स्कैंडल के बाद आईसीसी द्वारा किए गए बदलाव ने विराट को निलंबन से बचाया है। आर्टिकल मं बताया गया है कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान 2018 में ऑस्ट्रेलिया के गेंद से छेड़छाड़ मामले के बाद आईसीसी आचार संहिता में बदलाव ने विराट को फायदा पहुंचाया और उन्हें प्रतिबंध से बचाया। लेख के अनुसार, घटना के बाद गेंद से छेड़छाड़ के लिए बहुत सख्त सजा का प्रावधान था और शारीरिक संपर्क को “स्तर दो” (जिसमें प्रतिबंध शामिल हो सकता है) से “स्तर एक” अपराध में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसमें जुर्माना जैसी बहुत हल्की सजा का प्रावधान था।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने कभी अपने गिरेबां में नहीं झांका
हालांकि, ऑस्ट्रेलियाई मीडिया वाले शायद यह भूल गए कि उनके खिलाड़ियों ने ही कई बार दूसरी टीमों के खिलाड़ियों को अपशब्द कहे और उनके साथ गलत व्यवहार किए हैं। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का व्यवहार संगीन रहा है। आइए ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से जुड़े विवादों पर नजर डालते हैं…
पर्थ, 1981
डेनिस लिली ने जावेद मियांदाद को उकसाया था। तब लिली पर 200 डॉलर का जुर्माना लगा था।
एमसीजी 1981
डेनिस लिली ने सुनील गावस्कर के खिलाफ अग्रेशन दिखाया था। इस पर आईसीसी ने कोई एक्शन नहीं लिया था।
सिडनी 1996
अर्जुन राणातुंगा को इयान हीली ने अपशब्द कहे थे। हीली के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया।
शारजाह 1998
रिकी पोंटिंग ने हरभजन सिंह को कंधा मारा। दोनों खिलाड़ियों पर जुर्माना लगाया गया। हरभजन एक मैच के लिए सस्पेंड हुए थे।
सेंट एंटीगा 1999
ग्लेन मैक्ग्रा ने वेस्टइंडीज के एड्रियन ग्रिफिथ के सामने थूका था। मैक्ग्रा पर मैच फीस का 30 प्रतिशत जुर्माना लगा था।
मुंबई 2001
स्लेटर ने द्रविड़ को उकसाया था। स्लेटर के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया।
एशेज 2013
माइकल क्लार्क ने एंडरसन को अपशब्द कहे थे। क्लार्क को 20 प्रतिशत जुर्माना भरना पड़ा था।
एमसीजी 2014
मिचेल जॉनसन ने विराट कोहली पर गेंद फेंकी थी। जॉनसन को कोई जुर्माना नहीं लगा।
डरबन 2018
डेविड वॉर्नर ने ड्रेसिंग रूम जा रहे क्विंटन डिकॉक को धमकाया था। वॉर्नर पर मैच फीस का 75 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया था। डिकॉक पर 25 प्रतिशत जुर्माना लगा था।