मुम्बई : सैफ अली खान अटैक मामले में लगातार नए अपडेट आ रहे हैं. बॉलीवुड सुपरस्टार को तो अस्पताल से छुट्टी मिल गई है और वे अब अपने घर आ गए हैं. लेकिन इस केस में आरोपी पक्ष का मामला और भी गहराता जा रहा है. इस मामले में अब नया टर्निंग प्वाइंट सामने आया है. जिस बात का डर था वैसा ही होता नजर आ रहा है. आरोपी मोहम्मद शरीफुल इस्लाम शहजाद के वकील नागेश मिश्रा ने इस बात का दावा किया है कि सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे आरोपी और पकड़े गए आरोपी की शक्ल में अंतर है.
वकील ने क्या दलील दी?
प्राथमिक तौर पर साफ दिख रहा है कि 16 जनवरी की सिसिटीवी का हमलावर और पकड़ा गया आरोपी दोनों के चेहरे-मोहरे में अंतर है लेकिन पुलिस की जांच को हम चैलेंज नहीं कर सकते जब पुलिस कह रही है कि आरोपी ने ये बात अपनी ओर से कन्फेश की है. लेकिन कोर्ट में पुलिस के सामने दिया कन्फेशन अहम नही होता. बाकी ऐसे केस में कोरेब्रिटी एविडेंस देने पड़ते है.
आगे क्या-क्या होगा?
अब इस केस में परिवार का बयान होगा, नौकर चाकर के बयान होंगे. इस दौरान आरोपी को जेल में आईडी परेड में पहचानता पड़ता है. उस दौरान एक जैसे कद-काठी के दिखने वाले कई लोगो को खड़ा किया जाता है और आरोपी की शिनाख्त घरवालों और चश्मदीदों से कराई जाती है. ये प्रूफ होना की आरोपी बांग्लादेशी है या उसने कोलकाता का सिम इस्तेमाल किया ये अलग मामला है. लेकिन सैफ पर हमला होना और पकड़े गए आरोपी में असमानता होना दोनों डिफेंस के केस को मजबूत करता है.
फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का मामले में क्या है कहना?
फॉरेंसिक एक्सपर्ट रजनी पंडित की मानें तो- जब तक आमने-सामने नहीं देखते तब तक ऐसे नहीं कह सकते कि ये दोनों एक ही नहीं हैं. हम आंखें देख सकते हैं. आई लिड्स 100% नहीं बता सकती हूं लेकिन आंखें छोटी-बड़ी लगती हैं. ये क्लियर फोटो नहीं है. फोटो में लाइटिंग, प्रोफाइल, एंगल के कारण बहुत फर्क पड़ता है. हेयरकट के करण भी चेहरे की तस्वीर बदल जाती है. मुख्य रूप से जिन लोगों ने देखा वो अगर आइडेंटिफाई करते हैं तो वही सबसे मेन है. उनके बयान पर सब डिपेंड करेगा.
मुंबई फॉरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट की डायरेक्टर रुक्मिणी कृष्णमूर्ती ने कहा- फॉरेंसिक साइंटिस्ट होने के नाते हम ऐसे निष्कर्ष पर नहीं पहुंचते. अगर मुझे अलग भी लगता है तो मैं ऐसे नहीं बोलूंगी. इसके लिए प्रॉपर एनालिसिस होती है जिसमें कई पैरामीटर्स पर एनालिसिस किया जाता है और फिर रिपोर्ट दी जाती है. हेयरलाइन, फोरहेड, आंखें, नाक, चिन सबकुछ का डिजिटल कंपैरिज़न होता है. इसके लिये सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है और एक एक्सपर्ट ही एनालिसिस कर सकता है. देख कर बताना सही चीज नहीं है.
हालांकि मामले में पुलिस अपना बेस्ट कर रही है लेकिन जांच में जरा भी लूपहोल्स रहा तो कोर्ट में पुलिस को नुकसान होगा. कड़ी से कड़ी जोड़ना जरूरी है. मामले के अपडेट की बात करें तो सैफ अली खान अब पूरी तरह से डॉक्टर्स की हिदायतों पर चलेंगे और फिलहाल पूरी तरह से ठीक हुए जाने पर उन्हें शूटिंग करने की भी मनाही होगी.