छत्तीसगढ़

राजनीति में आएंगे नीतीश के बेटे…, बिहार में तेज हुई सियासत

नईदिल्ली : बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार के एकमात्र बेटे निशांत कुमार की क्या राज्य की राजनीति में एंट्री होने वाली है? बिहार की सियासत में यह अटकलें तेज हो गई हैं. बिहार की राजनीति में यह चर्चा शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार अपने बेटे निशांत कुमार को राजनीति में शामिल कर सकते हैं और होली के बाद वह औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश कर जाएंगे.

बीजेपी के कोटे के मंत्री प्रेम कुमार ने निशांत कुमार को राजनीति में शामिल करने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि निशांत कुमार राजनीति में आते हैं, तो वह उनका स्वागत करेंगे.उन्होंने कहा कि लोकतंत्र हैं, सभी को राजनीति में आने का अधिकार है. वह युवा हैं. उनके आने से बिहार के विकास को गति मिलेगी. वह उनके राजनीति में आने का स्वागत करेंगे.

बता दें कि सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की आयु 38 साल है. वह राजनीति, टीवी और सोशल मीडिया से दूर रहते आए हैं. निशांत कुमार सीएम नीतीश कुमार और उनकी दिवंगत पत्नी मंजू सिंह के एकलौते पुत्र हैं. उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पढ़ाई की है और इंजीनियरिंग की डिग्री ली है.इस माह की शुरुआत में 8 जनवरी को निशांत कुमार अपने पिता के साथ एक कार्यक्रम में उनके गृह नगर बख्तियारपुर में देखे गये थे. उस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए राज्य के लोगों से अपील की थी कि बिहार में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में जदयू और उनके पिता को वोट देकर विजयी बनाएं, ताकि फिर से राज्य में उनकी सरकार बन सके.

हालांकि बख्तियारपुर में हुए कार्यक्रम के बाद जेडीयू के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार में मंत्री श्रवण कुमार ने कहा था कि निशांत कुमार राजनीति में शामिल हो सकते है. श्रवण कुमार ने कहा था कि निशांत कुमार को मौजूदा सरकार के बारे में पूरी समझ है वह एक प्रगतिशील युवा हैं और उनके जैसे विचारों वाले युवा का राजनीति में स्वागत है. वहीं, पार्टी कार्यकर्ता की ओर से भी लगातार निशांत कुमार को राजनीति में शामिल किये जाने की मांग उठती रही है.इससे पहले निशांत कुमार को साल 2015 में अपने पिता के शपथ ग्रहण समारोह में आखिरी बार किसी राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. हालांकि उन्होंने राजनीति में सीधे रूप से शामिल होने की संभावना को खारिज कर दिया था और कहा था कि उन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है और इसके बजाय उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का विकल्प चुना है.