रायपुर I छत्तीसगढ़ की पुलिस ट्रेनिंग एकेडमी में स्वाइन फ्लू फैल गया है। इस एकेडमी में 7 ट्रेनी DSP संक्रमित मिले हैं। कुछ अधिकारियों को सर्दी खांसी और बुखार के लक्षण हैं। जिनके सैंपल की जांच की जा रही है। इस एकेडमी में 24 ट्रेनी DSP ट्रेनिंग ले रहे हैं। पूर्व DGP डीएम अवस्थी इस एकेडमी की चीफ हैं। संक्रमित होने के बाद ट्रेनिंग सेंटर कुछ दिनों के लिए बंद करने की तैयारी। उधर बुधवार रात को आई रिपोर्ट स्वाइन फ्लू के 7 नए मरीज मिले हैं। इस प्रकार 2 दिन में प्रदेश में 14 मरीज मिले हैं।
महामारी नियंत्रण विभाग के डायरेक्टर डॉ सुभाष मिश्रा ने बताया सबसे पहले 2 सितंबर को 2 ट्रेनी अफसरों के सैंपल लिए गए थे। इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद 24 सैंपल जांच के लिए रायपुर एम्स भेजे गए थे। इनमें से पांच DSP फिर संक्रमित निकले, अब संपर्क में आए 14 लोगों के सैंपल फिर से जांच के लिए भेजे गए हैं जिनकी रिपोर्ट गुरुवार को आ सकती है।
किसी के संपर्क में नहीं आये फिर भी संक्रमित
एकेडमी में रह रहे अधिकारियों के संक्रमित पाए जाने की वजह से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। क्योंकि यहां रह रहे संक्रमित अधिकारियों कीे कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है, वो किसी संक्रमित शख्स के संपर्क में नहीं आए। एकेडमी में हाइजीन का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा था। इसके बाद भी इनका संक्रमित हो जाना बड़ा सवाल है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामले भी सामने आ रहे हैं। बरसात में लगातार होने वाले मौसमी बदलाव के कारण कई तरह की संक्रमणजनित बीमारियां होती हैं। स्वाइन फ्लू के प्रकरण आमतौर पर सर्दियों में होते हैं। पर इसका वायरस मानसून में भी सक्रिय हो गया है। स्वाइन फ्लू के लक्षण भी कोरोना के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं। इसमें खांसी, बलगम आना, गले में दर्द या खराश, जुकाम और कुछ लोगों को फेफड़ों में इन्फेक्शन होने पर सांस चढ़ने लग जाती है।
इन लोगों को खतरा अधिक
संचालक महामारी नियंत्रण, डॉ. सुभाष मिश्रा ने स्वाइन फ्लू के कारणों व लक्षणों के बारे में बताया कि स्वाइन फ्लू एच-1 एन-1 (H1N1) इन्फ्लुएंजा ‘ए’ के कारण होता है। यह वायरस वायु कण एवं संक्रमित वस्तुओं को छूने से फैलता है। इसकी संक्रमण अवधि सात दिनों की होती है। बरसात के मौसम में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण तीव्र गति से प्रभावी होने का अधिक खतरा रहता है। विशेष रूप से हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, लीवर रोग, किडनी रोग, डायबिटीज, एचआईवी और कैंसर से पीड़ित या ऐसे मरीज जो कि स्टेराइड की दवा का सेवन लम्बे समय से कर रहे हों, उन पर अधिक खतरा बना रहता है।
बचाव के तरीके
बचाव के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों में नहीं जाने, संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क से दूर रहने तथा नियमित रूप से हाथ साबुन या हैण्डवॉश से धोने की सलाह दी है। साथ ही सर्दी-खांसी एवं जुकाम वाले व्यक्तियों के द्वारा उपयोग में लाये गये रूमाल और कपड़ों का उपयोग नहीं करना चाहिए। स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए जाने पर पीड़ित को 24 से 48 घंटों के भीतर डॉक्टर से जांच अवश्य कराना चाहिए। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए इन्फ्लूंजा वैक्सीन लगाई जाती है। इस वैक्सीन से स्वाइन फ्लू की वजह से होने वाली गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।