छत्तीसगढ़

सांगली घटना पर संतों की दो टूक, हदें पार की तो होगा बवाल, घेरेंगे संसद

नईदिल्ली I महाराष्ट्र के सांगली में आज बच्चा चोरी के शक में चार साधुओं से की गई मारपीट को लेकर संत समाज ने अपनी नाराज़गी जाहिर की है. अयोध्या की हनुमान गढ़ी के उत्तराधिकारी महंत संजय दास ने कहा है कि आज के दौर में संत के वेश में कुछ कालनेमि आ गए हैं, लेकिन अगर बेकसूर संतों के बदसलूकी की हदें पार की तो संत समाज चुप नहीं बैठेगा. हम ऐसी घटनाओं को लेकर अब संसद को घेरेंगे और अपना विरोध दर्ज करेंगे. स्वामी दिपांकर ने कहा कि इस मामले को हम पालघर नहीं बनने देंगे. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

अयोध्या की हनुमान गढ़ी के उत्तराधिकारी महंत संजय दास ने घटना की निंदा करते हुए कहा, ”यह सच है कि आज के दौर में संत के वेश में कुछ कालनेमि आ गए हैं, लेकिन यदि कोई व्यक्ति संत वेश में है तो बगैर उनकी असल पहचान किए हुए उन पर हमला करना बिल्कुल उचित नहीं है. अगर उन्हें कोई शंका थी तो उसके लिए आरोपियों को पुलिस की मदद लेनी चाहिए थी.” उन्होंने कहा, ”हमारे देश में छोटे-बड़े मिलाकर लाखों करोड़ों मंदिर हैं, जिनसे जुड़ा साधु समाज अक्सर तीर्थ यात्रा पर रहता है. अगर ऐसे ही साधु समाज पर हमले होते रहे और उन पर रोकथाम नहीं हुई तो साधु समाज चुप नहीं बैठेगा और अपना विरोध जताने के लिए संसद तक घेराव करेगा.”

निंदनीय, क्रूर और घटिया कार्य- स्वामी चक्रपाणि

हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, ”शुरुआत में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इससे पहले पालघर में भी दो साधुओं की हत्या कर दी गई, उसपर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. हमने गृह मंत्रालय से लेकर महाराष्ट्र सरकार तक से मांग की कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए, लेकिन दरिंदों को कोई सजा नहीं दी गई. जिसकी वजह से ये लचर व्यवस्था अब भी लागू है. जिस तरह से आज साधुओं को मारा पीटा गया है, इससे ज्यादा निंदनीय, क्रूर और घटिया कार्य कोई और नहीं हो सकता.”

स्वामी चक्रपाणि ने आगे कहा, ”सरकार कोई भी हो, लेकिन संतों पर इस तरह से जानलेवा हमला और चोर बताकर उनको पीटना, मैं इसकी निंदा करता हूं.जो संत समाज को सींचने का काम करते हैं, दिशा दिखाने का काम करते हैं, उनको चोर बताकर पीटना निंदनीय है.”

चिल्ला रहे थे, लेकिन हमारी किसी ने नहीं सुनी- दिपांकर

स्वामी दिपांकर ने कहा, ”सन्यासियों को गाड़ी से खींचकर मारना, इससे ज्यादा क्रूरता कुछ नहीं हो सकती. जिस तरह से पालघर की घटना पर पर्दा डाला गया, मैं उम्मीद करता हूं इस बार इस घटना पर पर्दा नहीं डाला जाएगा. तब हम लोग दोषियों पर कार्रवाई के लिए चिल्ला रहे थे, लेकिन हमारी किसी ने नहीं सुनी. ऐसी घटना को अगर अंजाम दिया जाएगा तो इसे भारत और इसकी संस्कृति कभी स्वीकार नहीं करेगी.”