नईदिल्ली I जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्र सफूरा जरगर पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है. जामिया यूनिवर्सिटी ने उनके कैंपस में आने पर बैन लगा दिया है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से ये नोटिस किया गया है की सफूरा जरगर कैंपस में बेफिजूल के मुद्दों पर प्रोटेस्ट करवाती है. वह मासूम छात्रों को भड़का और भटका रही है. सफूरा स्टूडेंट्स का इस्तेमाल अपने सियासी एजेंडे के लिए कर रही है. साथ ही वह इसके जरिए यूनिवर्सिटी कैंपस का माहौल खराब कर रही है. जामिआ यूनिवर्सिटी ने बकायदा ऑर्डर जारी करके सफुरा पर बैन लगाया है.
जामिया यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही सफूरा का एमफिल एडमिशन कैंसिल कर दिया था. उनका एडमिशन 29 अगस्त को कैंसिल किया गया और फिर वह अन्य स्टूडेंट्स के साथ दोबारा एडमिशन देने को लेकर प्रदर्शन कर रही थी. इस दौरान जामिया में सफूरा के समर्थन में नारेबाजी भी की गई. प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स की मांग थी कि सफूरा को थिसिस जमा करने के लिए अधिक वक्त दिया जाए. तय समय पर थिसिस जमा नहीं होने की वजह से ही उनका एडमिशन कैंसिल हुआ था. एडमिशन कैंसिल होने पर सफूरा ने कहा था कि इससे मेरा दिल टूटा है, लेकिन मेरा हौसला नहीं.
कौन है सफूरा जरगर?
दिल्ली में 2020 में CAA-NRC को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए. इन विरोध प्रदर्शनों में सफूरा ने भी हिस्सा लिया. वहीं, फरवरी में दिल्ली में दंगे हो गए. सफूरा को दिल्ली दंगों में आरोपी बनाया गया. इसके बाद सफूरा जरगर पर अप्रैल 2020 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत केस दर्ज किया गया. जल्द ही उनकी गिरफ्तारी हुई और उन्हें जेल भेज दिया गया. दिल्ली दंगों की चार्जशीट में स्पेशल सेल ने सफूरा के कई चैट्स का खुलासा किया. स्पेशल सेल ने बताया कि सफूरा दंगों को भड़काने की साजिश में शामिल थी.
वहीं, जून 2020 में सफूरा को मानवीय आधार पर जमानत दी गई थी. दरअसल, सफूरा उस वक्त गर्भवती थीं और इसका ख्याल रखते हुए उन्हें जेल से जमानत दी गई. सफूरा ने जामिया यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग में इंटीग्रेटेड एमफिल और पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन लिया हुआ था. उनका रिसर्च एरिया ‘शहरी क्षेत्रों में मुसलमानों का सामाजिक-स्थानिक अलगाव’ था, इसके लिए उन्होंने 2019 में रिसर्च शुरू की थी.