नई दिल्ली । मृत्युदंड के प्रविधान वाले मामलों में अपराध की गंभीरता कम करने वाली परिस्थितियों पर कब और कैसे विचार किया जा सकता है, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ दिशा-निर्देश तय करेगी। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को यह मामला पांच जजों की पीठ को सौंपने का फैसला लिया।
क्या कहा शीर्ष अदालत ने?
शीर्ष अदालत ने कहा, हमारा मानना है कि इस मामले में एक बड़ी पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की आवश्यकता है। इससे इस बारे में स्पष्टता और एकरूपता आएगी कि मृत्युदंड के प्रविधान वाले मामलों में अपराध की गंभीरता कम करने वाली परिस्थतियों पर कब विचार करने की जरूरत है?
पीठ में शामिल जस्टिस एस रवींद्र भट ने कहा, इस संबंध में आदेश के लिए मामले को प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए।सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को कहा था कि मृत्युदंड अपरिवर्तनीय है। इसलिए अभियुक्त को राहत संबंधी परिस्थितियों पर सुनवाई का हर अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि अदालत निर्णय ले सके कि मामले में मृत्युदंड वांछित है या नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
शीर्ष अदालत ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था। इसने कहा था कि यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है कि मृत्युदंड वाले मुकदमों में सजा कम करने वाली परिस्थितियों पर (निचली अदालत में) सुनवाई के स्तर पर ही विचार किया जाए।
यह मामला इरफान नाम के एक व्यक्ति की याचिका से उत्पन्न हुआ था। इसमें निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को चुनौती दी गई थी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सजा की पुष्टि की थी।