नईदिल्ली I जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटने के बाद इसके फायदे ग्राउंड लेवल पर दिखने लगे हैं. दरअसल सरकार ने अब पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को जमीन का मालिकाना हक देने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है. मतलब अब उन लोगों को भी अपना हक मिलेगा, जिस हक से वे 68 सालों तक वंचित थे. वेस्ट पाकिस्तानी शरणार्थियों को 3 मई 1954 को भूमि आवंटित की गई थी. हालांकि उन्हें मालिकाना हक नहीं मिला था, जिसकी वजह से जरूरत पड़ने पर वो यहां की जमीन बेच नहीं सकते थे.
शरणार्थी अब तक आवंटित भूमि का इस्तेमाल केवल खेती के लिए कर सकते हैं. उन्हें इस जमीन को बेचने या किसी और काम के लिए इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है. लेकिन अब सरकार इन शरणार्थियों की इस समस्या का समाधान करने जा रही है. ‘वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी एक्शन कमेटी 1947’ के प्रधान लब्बा राम गांधी और वेस्ट पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने टीवी9 भारतवर्ष से कहा कि सरकार की इस पहल का हम स्वागत करते हैं. क्योंकि इस पहल से हमारे 20 हजार के करीब परिवारों को फायदा पहुंचेगा.
‘पिछली सरकारों ने किया दरकिनार’
उन्होंने कहा, ‘हमें पिछली सरकारों ने आजादी के बाद दरकिनार किया था, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने हमारी बातें सुनी और एक्शन लिया तथा आर्टिकल 370 हटाने का एक बड़ा फैसला कर दिया. जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने की वजह से यहां सालों से शरणार्थी बनकर रह रहे लाखों लोग खुश हैं. सरकार जल्दी ही हमें अपनी जमीनों का मालिकाना भी हक देने वाली है, जो 1954 में आवंटित की गई थी.’
आगामी विधानसभा चुनाव में डालेंगे वोट
मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 को खत्म किया गया था, जिस पर काफी लंबे अरसे से विवाद चल रहा था. इस धारा के निरस्त होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर विभाजित होकर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया था, पहला खुद ‘जम्मू-कश्मीर’ और दूसरा ‘लद्दाख’. जम्मू-कश्मीर में पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों की आबादी एक लाख से ज्यादा है, जो आगामी विधानसभा चुनाव में वोट भी डालेंगे. वहीं, मालिकाना हक देने की बात को लेकर यह लोग खुशियां मना रहे हैं. एक-दूसरे को मिठाइयां खिला रहे हैं. ये सबसे बड़ा बदलाव धारा 370 के हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में देखा जा रहा है.