नईदिल्ली I रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए ‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस’ के साथ 1700 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए. रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए यह डील ‘बाय इंडियन’ (भारत में बने सामान की खरीद) पहल के तहत की गई है. इससे भारत की ताकत बढ़ेगी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोहरी भूमिका में सक्षम इन मिसाइलों को सेवा में शामिल करने से भारतीय नौसेना के बेड़े की परिचालन क्षमता में काफी वृद्धि होगी.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जो नयी पीढ़ी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों (एसएसएम) को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. ये मिसाइलें दोहरी भूमिका निभा सकती हैं, जिसमें इन्हें जमीन के साथ ही जहाज से भी दागा जा सकता है.
सबसे घातक क्रूज मिसाइल है ब्रह्मोस
ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज और सबसे घातक क्रूज मिसाइल है. 21 साल पहले 12 जून 2001 को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का पहली बार चांदीपुर में जमीन आधारित लांचर से टेस्ट किया गया था. मगर 21 साल के इस सफर के दौरान इसे कई बार अपडेट किया गया है और ब्राह्मोस को अब जमीन ही नहीं लगभग सभी प्लेटफार्मों से टेस्ट किया जा चुका है.
ब्रह्मोस मिसाइल को जमीन-से-जमीन, जमीन से समुद्र, समुद्र से जमीन, समुद्र से समुद्र, हवा से समुद्र और हवा से जमीन तक लॉन्च करने का टेस्ट किया गया है. बता दें कि ब्रह्मोस भारतीय सेना की तीनों विंगों में शामिल है.
पहले से कई गुना बढ़ चुकी है रेंज
वहीं, अगर ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज की बात करें तो शुरुआत में इसकी रेंज 290 किलोमीटर तक थी, जिसे अब बढ़ाकर 350-400 किलोमीटर तक कर दिया गया है. वहीं, 800 किलोमीटर के वैरिएंट पर भी काम चल रहा है. बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइलों का एक अंडर वाटर वर्जन भी विकसित किया जा रहा है. इसका उपयोग न केवल भारत की पनडुब्बियों द्वारा किया जाएगा, बल्कि मित्र देशों को निर्यात के लिए भी पेश किया जाएगा.