नईदिल्ली I आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के वक्त, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, भारत में आर्थिक गतिविधियां ”ठहर’ गईं थीं और निर्णय नहीं लिए जा रहे थे. उन्होने जानकारी दी कि उस दौर में बड़े संस्थान की बैठक में जब भविष्य की बात की जाती थी तो बैठकों में अधिकतर समय चीन का नाम लिया जाता था. वहीं भारत का नाम कभी कभार ही बैठक में आता था. हालांकि उन्होने कहा कि अब भारत से उम्मीदें जगी हैं. भारतीय प्रबंधन संस्थान – अहमदाबाद (आईआईएम-ए) में युवा उद्यमियों और छात्रों के साथ बातचीत के दौरान मूर्ति ने भरोसा जताया कि भारत के युवा देश को चीन का एक योग्य प्रतिस्पर्धी बना सकता है.
एक दशक पहले चीन पर था दुनिया का भरोसा
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मैं लंदन में (2008 और 2012 के बीच) एचएसबीसी के बोर्ड में था. इस दौरान पहले के कुछ वर्षों में, जब बोर्डरूम (बैठकों के दौरान) में चीन का दो से तीन बार उल्लेख किया गया, तो भारत का नाम एक बार आता था. मूर्ति ने आगे कहा, लेकिन दुर्भाग्य से, मुझे नहीं पता कि बाद में (भारत के साथ) क्या हुआ। (पूर्व पीएम) मनमोहन सिंह एक असाधारण व्यक्ति थे और मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है. लेकिन संप्रग के दौर में भारत ठहर गया था. उस दौरान निर्णय नहीं लिए जा रहे थे. जब उन्होंने एचएसबीसी (2012 में) छोड़ा, तो बैठकों के दौरान भारत का नाम शायद ही कभी आता था, जबकि चीन का नाम लगभग 30 बार लिया गया. मूर्ति ने कहा कि आज दुनिया में भारत के लिए सम्मान का भाव है और देश अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.
अब युवाओं की जिम्मेदारी बढ़ी
मूर्ति के मुताबिक 1991 के आर्थिक सुधारों और आज की मोदी सरकार की मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं ने भारत के लिए आधार तैयार किया है.मूर्ति ने कहा कि जब वो युवा थे तो उनपर इतनी जिम्मेदारी नहीं थी. क्योंकि उस दौर में न युवाओं से और न ही भारत से खास उम्मीदें रखी जाती थीं. आज के युवाओं पर उम्मीदें हैं कि वो भारत को चीन से आगे ले जाएं. इससे उनकी जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. उन्होने कहा कि चीन ने सिर्फ 44 साल में भारत से काफी बढ़त हासिल कर ली है.