रायपुर। रायपुर में अम्बेडकर अस्पताल से जयस्तंभ तक अधूरा खड़ा स्काइवॉक एक बार फिर से राजनीति के केंद्र में आ रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 9 सितम्बर को रायपुर के कार्यकर्ता सम्मेलन में इसको रोकने पर सवाल उठाकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की थी। अब कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ज्ञापन सौंपकर स्काइवॉक निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग की है। इस शिकायत में तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत पर सीधे आरोप लगाए गए हैं।
आरपी सिंह ने लिखा, भाजपा नेता और तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत ने अपने रसूख का प्रयोग करके स्काइवॉक का प्रोजेक्ट पास करवा दिया जिसका कोई औचित्य या आवश्यकता ही नहीं थी। अपने ज्ञापन में उन्होंने आठ बिंदुओं का उल्लेख करते हुए लिखा है कि उम्मीद है कि इन तथ्यों की जांच से इस प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार, अनियमितता और घोटाले का पर्दाफाश हो जाएगा। आरपी सिंह का कहना है, कायदे से 50 करोड़ से अधिक लागत के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को पब्लिक फंड इन्वेस्टमेंट कमेटी-PFIC से मंजूरी के बाद ही बनाया जा सकता है।
2017 के मार्च महीने में स्काइवॉक का यह प्रोजेक्ट 40 करोड़ 8 लाख का बनाकर स्वीकृत कराया गया ताकि PFIC से बचा जा सके। दिसम्बर 2017 में इसकी लागत बढ़ाकर 81 करोड़ 69 लाख रुपए कर दिया गया। इस बदले हुए प्राक्कलन में ऐसी बातों को रखा गया था जो सामान्य तौर पर मूल डीपीआर में होनी थी। आरोप है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि DPR में इसकी लागत 50 करोड़ से कम रखी जाए ताकि इसे PFIC के सामने पेश न करना पड़े। ऐसा होता तो वहां अनुचित खर्च वाले गैर जरूरी प्रोजेक्ट को रोका जा सकता था। आरपी सिंह ने कहा, यह तथ्य प्रोजेक्ट के पीछे की आपराधिक मानसिकता को दिखाता है।
रायपुर की स्काईवाक परियोजना शुरू होने के साथ ही विवादों में है।
प्रशासकीय स्वीकृति से पहले निकल गया टेंडर
आरपी सिंह का कहना है कि विभाग ने 4 फरवरी 2017 को इसका मूल टेंडर निकाला। 20 फरवरी को टेंडर ले भी लिया गया। उसके बाद 8 मार्च 2017 को इसकी तकनीकी और प्रशासकीय स्वीकृति हुई। इसका साफ मतलब है कि विभागीय मंत्री के दबाव में अधिकारी बिना नियमों का पालन किए हुए काम कर रहे थे।
अचानक फिर बढ़ा दी गई लागत
कांग्रेस नेता का कहना है, तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत ने 23 अप्रैल 2018 को अचानक ही स्काइवॉक में 12 बदलाव के निर्देश दिए। इसका स्पष्टीकरण पूरी परियोजना रिपोर्ट में कहीं नहीं है। इसकी वजह से अकेले सिविल कार्य में ही 15 करोड़ 69 लाख रुपए की लागत बढ़ गई। आरपी सिंह ने कहा, ऐसा लगता है कि मंत्री राजेश मूणत संबंधित ठेकेदार को अधिक भुगतान कराना चाहते थे।
चुनाव के दौरान दी परिवर्तित प्रशासकीय स्वीकृति
कांग्रेस नेता आरपी सिंह का कहना है, 5 दिसम्बर 2018 को प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो चुका था। उस समय लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन सचिव ने परिवर्तित प्रशासकीय स्वीकृति का प्रस्ताव भेजा। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने स्वीकृति दे भी दी, जबकि आचार संहिता के मुताबिक ऐसा नहीं किया जा सकता था। वित्त विभाग ने 11 दिसम्बर को स्वीकृति जारी की और विभाग ने 13 दिसम्बर 2018 को सुविधा की स्वीकृति जारी कर दी।
पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कांग्रेस पर ही विकास बाधित करने का आरोप लगाया है।
राजेश मूणत ने दी जांच की खुली चुनौती
भाजपा प्रवक्ता व पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने सरकार को स्काइवॉक की जांच की खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा, सरकार में दम है तो स्काइवॉक के निर्माण की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर न्यायाधीश से जांच करा ले। थोथी राजनीति ना करें ,उस पर निर्णय करें। उन्होंने कहा, चार साल से कांग्रेस की सरकार है, सभी अधिकारी वहीं हैं, सारी फाइलें वहीं हैं। अब तक ये लोग क्या कर रहे थे। चार साल में ये इसका भी फैसला नहीं ले पाए कि इस निर्माण का करना क्या है। यह पूरा हो गया होता तो पैदल चलने वाले हजारों लोगों को फायदा होता। उन्होंने कहा, उन्हें पता है कि यह स्क्रिप्ट कहां से आई है, लेकिन भाजपा का कार्यकर्ता ऐसे आरोपों से डरने वाला नहीं है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस महीने की शुरुआत में रायपुर आए थे।
क्या कहकर गए थे जेपी नड्डा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रायपुर में कहा, मैं आ रहा था तभी मैंने रास्ते में पूछ लिया स्काइवॉक का क्या हुआ? तब पता चला कि इसका काम रोक दिया गया है। इसको तोड़ने की बात हो रही है। खुद तो कांग्रेस के लोग स्काइ राइड करें और आम लोगों के स्काइवॉक से इन्हें दिक्कत है। ये सिर्फ एक ही परिवार की सेवा में लगे हैं। उस समय कांग्रेस ने स्काइवॉक को भाजपा के भ्रष्टाचार का स्मारक बताया था।