छत्तीसगढ़

RBI बढ़ाएगा ब्याज दरें! और महंगे होंगे लोन और EMI भी बढ़ेगी

नईदिल्ली I भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) महंगाई से निपटने के लिए जल्द ही रेपो रेट बढ़ाने वाला है. अमेरिका के फेडरल रिजर्व समेत दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंकों की राह पर चलते हुए भारतीय रिजर्व बैंक लगातार चौथी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है. आरबीआई ने महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट में मई से अबतक 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की है. इस दौरान रेपो रेट चार प्रतिशत से बढ़कर 5.40 प्रतिशत पर पहुंच चुका है. मौद्रिक नीति समिति (MPC) 30 सितंबर को रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला कर सकती है. ऐसा होने पर रेपो दर बढ़कर 5.90 प्रतिशत हो जाएगी. इससे लोन महंगा हो जाएगा और लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी.

रेपो रेट में मई में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी और जून और अगस्त में यह 0.50-0.50 प्रतिशत बढ़ाई गई. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई में मई से नरमी आने लगी थी लेकिन यह अगस्त में सात प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई. आरबीआई अपनी दो साल की मौद्रिक नीति बनाते वक्त खुदरा महंगाई पर गौर करता है.

30 सितंबर को दरों में वृद्धि

आरबीआई के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक बुधवार को शुरू होगी और दरों में परिवर्तन पर जो भी निर्णय होगा उसकी जानकारी शुक्रवार 30 सितंबर को दी जाएगी. बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि महंगाई सात प्रतिशत के लगभग बनी रहने वाली है और ऐसे में दरों में वृद्धि होना तय है. रेपो रेट में 0.25 से 0.35 फीसद की वृद्धि का मतलब है कि आरबीआई को यह भरोसा है कि महंगाई का सबसे खराब दौर बीत चुका है. वहीं विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में हाल के वाकियो को देखते हुए दरों में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि भी की जा सकती है.

महंगा होगा होम लोन

आरबीआई का काम यह सुनिश्चित करना है कि खुदरा महंगाई चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर बनी रहे. हाउसिंग डॉट कॉम के समूह मुख्य कार्यपालक अधिकारी ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि ऊंची महंगाई आरबीआई के लिए चिंता का प्रमुख कारण है और दरों में वृद्धि के कारण बैंक अपने होम लोन पर ब्याज दरें बढ़ाएंगे. हालांकि, हमारा मानना है कि इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि संपत्ति की मांग बनी हुई है. बल्कि त्योहारों के दौरान तो मांग और बढ़ने वाली है.

भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी विशेष रिपोर्ट में कहा था कि दरों में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि तय है. उसने कहा था कि रेपो की सर्वोच्च दर 6.25 प्रतिशत तक जाएगी और अंतिम वृद्धि दिसंबर की नीतिगत समीक्षा में 0.35 प्रतिशत की होगी. इसका अर्थ हुआ कि सितंबर में तो रेपो दरें बढ़ेंगी ही, उसके बाद दिसंबर में भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना है. इस तरह ग्राहकों को महंगे लोन से तब तक निजात नहीं मिलने वाली है, जब तक महंगाई दर काबू में नहीं आ जाए. त्योहारी सीजन में भी आम लोगों को महंगाई का सामना करना होगा.