नई दिल्ली। कोरोना टीके के ट्रांसपोर्टेशन का ठेका दिलाने के नाम पर 15 लाख की ठगी के आरोप में 5 लोगों को गिफ्तार किया है। इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तीन कर्मचारी शामिल हैं। ये कार्रवाई दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने की है।
दिल्ली पुलिस ने की कार्रवाई
पुलिस ने रविवार को कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दो कर्मचारियों सहित पांच लोगों को अलग-अलग राज्यों में कोविड के टीके के परिवहन के लिए काम से संबंधित आदेश दिलाने के बहाने ₹ 15 करोड़ की धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों ने 6 ठेकेदारों को विभिन्न राज्यों में कोविड के टीकों के परिवहन के लिए काम से संबंधित आदेश प्राप्त करने के बहाने ठगी की।
गृहमंत्रालय के 3 कर्मचारी गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस ने बताया कि हरमन सभरवाल, गोविंद तुलसियान, दीप्राना तिवारी, त्रिलोक सिंह और मृत्युंजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया है। त्रिलोक सिंह स्वास्थ्य मंत्रालय में स्थायी कर्मचारी हैं। वो मल्टी टास्किंग स्टाफ रूप में कार्यरत हैं। दीप्राना तिवारी भी स्वास्थ्य मंत्रालय में मल्टी टास्किंग स्टाफ रूप में कार्यरत हैं। लेकिन वो अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए हैं। पुलिस ने कहा कि मृत्युंजय रॉय एसएसबी से गृह मंत्री में प्रतिनियुक्त किए गए थे। वे निर्माण भवन में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में स्वागत अधिकारी थे।
डर के मारे एक ने ले लिया था VRS
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कुल 6 ठेकेदारों से कोरोना टीके के ट्रांसपोर्टेशन का ठेका दिलाने के एवज में की गई ठगी के मामले में कार्रवाई की है। मामले में अब तक 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में एक मंत्रालय का रिसेप्शनिस्ट और दो अनुबंध वाले चतुर्थश्रेणी कर्मचारी शामिल हैं। सरकारी कर्मचारी रहे रिसेप्शनिस्ट ने प्राथमिकी दर्ज होने की जानकारी मिलते ही गिरफ्तार होने के डर से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। इस रैकेट में तीन अन्य भी शामिल है, जो फरार है। पुलिस उनकी तलाश कर रही है।
बैंक खातों की जांच से हुआ खुलासा
अधिकारी ने कहा कि आरोपियों के बैंक खातों और अन्य विवरणों की भी जांच की गई, जिसमें पता चला कि उनमें भारी नकदी जमा की गई है। मामले में आरोपी हरमन सभरवाल को अगरतला से गिरफ्तार किया गया। वह एक होटल में छिपा था। वहीं अन्य आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया।
आरोपियों पर 15 करोड़ की ठगी का आरोप
मामले में सुनील कौशिक नाम के एक व्यक्ति और अन्य से कई शिकायतें दिल्ली क्राइम ब्रांच को मिली थीं। मामले में कुल 6 लोगों ने शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि कोविड के टीकों ट्रांस्पोर्टेशन के कार्य आदेश दिलाने के बहाने 15 करोड़ रुपये की ठगी की गई थी। मामला दर्ज होने के बाद ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की। विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने कहा कि जांच से पता चला है कि पिछले साल मई में आरोपी शिकायतकर्ताओं के संपर्क में आए और उन्हें मंत्रालय के कार्यादेश की पेशकश की।