छत्तीसगढ़

महात्मा गांधी की हत्या के बाद क्यों नहीं हुआ उनके शव का पोस्टमार्टम?

नईदिल्ली I महात्मा गांधी एक ऐसे नेता रहे हैं, जिनकी मान्यता दुनियाभर में रही है. उनके विचारों और सिद्धांतों की पूरी दुनिया कायल है. उनका पूरा जीवन ही संदेश है. उनके जैसा मास कम्यूनिकेटर शायद ही कोई हुआ. उन्हें माननेवाले लोगों की तादात दुनियाभर में करोड़ों में है. कुछ मुट्ठी भर लोग ऐसे भी हैं, जो गांधी और गांधी के विचारों से किनारा रखते हैं, उन्हें सही नहीं मानते हैं. नाथूराम गोडसे भी इन्हीं कुछ मुट्ठी भर लोगों में से था.

30 जनवरी 1948 को गोडसे ने जो ‘कुकृत्य’ किया, पूरे देश से उसे लानतें मिलीं. बिड़ला हाउस में दक्षिणपंथी उग्रवादी नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोली मार दी. बापू तब दैनिक प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए जा रहे थे. हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्षधर महात्मा गांधी की हत्या का प्रयास पहले भी हुआ था. 1934 के बाद से उनकी हत्या के लिए 5 बार हमले किए गए थे, जो नाकाम रहे.

आखिरकार 30 जनवरी 1948 वो मनहूस दिन साबित हुआ, जिस दिन देश से उनका राष्ट्रपिता छिन गया. हत्या के बाद मुकदमा चला. गोडसे समेत आठ लोगों के खिलाफ. लाल किला में विशेष अदालत लगाई गई. सुनवाई हुई. गोडसे और उसके साथ नारायण आप्टे को सजा-ए-मौत सुनाई गई. बाकी लोगों को उम्रकैद की सजा हुई, जबकि विनायक दामोदर सावरकर को बरी कर दिया गया.

गोडसे का इकबालिया बयान

“गांधी को राष्ट्रपिता कहा जाता है. लेकिन अगर ऐसा है, तो पिता के अपने कर्तव्य का पालन करने में वो विफल रहे हैं क्योंकि विभाजन को सहमति देकर उन्होंने देश को धोखा दिया है. मैं दृढ़ता से कहता हूं कि गांधी अपने कर्तव्य में विफल रहे हैं. वह पाकिस्तान के राष्ट्रपिता सिद्ध हुए हैं.”

नाथूराम गोडसे ने नवंबर 1948 में कोर्ट के आगे अपने पक्ष में दलील पेश करते हुए 92 पन्नों का एक लिखित बयान पढ़ा था. ऊपर लिखी बातें, उसी बयान का हिस्सा है. ‘वाय आई किल्ड गांधी’ में गोडसे ने ये बातें लिखी.

क्यों नहीं हुआ बापू के शव का पोस्टमार्टम?

महात्मा गांधी की हत्या के बाद कानूनी प्रक्रियाएं तो पूरी की गईं, लेकिन शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था. कुछ वर्ष पहले ओडिशा के बोलांंगीर निवासी हेमंत पांडा ने गृह मंत्रालय में आवेदन देकर बापू की हत्या की एफआईआर, चार्जशीट सहित अन्य जानकारी मांगी थी. उनका एक सवाल यह भी था कि क्या कानून के अनुसार बापू की पार्थिव देह का पोस्टमार्टम किया गया था.

मंत्रालय ने इस क्वेरी को भारतीय अभिलेखागार, दर्शन समिति और गांधी स्मृति (तब के बिड़ला हाउस) के निदेशक के पास भेजा था. गांधी स्मृति और दर्शन समिति ने सूचित किया कि बापू के शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था. कारण कि उनके परिवार वाले नहीं चाहते थे कि बापू के शव का पोस्टमार्टम हो. बाद में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इसको लेकर नए सिरे से जांच की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया.