रायपुर I हाईकोर्ट ने बिलासपुर के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही व कोरबा जिलों की सरकारी नौकरियों में स्थानीय निवासियों को 100% आरक्षण देने वाली अधिसूचना को रद्द कर दिया है। इसके पहले कोर्ट ने बस्तर और सरगुजा में भी स्थानीय आरक्षण खत्म करने का आदेश दिया था। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों और कलेक्टरों-जिला पंचायत सीईओ को पत्र लिखकर उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने की हिदायत दी है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 4 सितंबर 2019 को एक अधिसूचना जारी कर अनुसूचित क्षेत्रों के जिला संवर्ग में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्ती के लिए स्थानीय निवासियों को 100 प्रतिशत आरक्षण दे दिया था।
बाद में इसमें बिलासपुर संभाग के गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही और कोरबा जिलों को भी जोड़ लिया गया। पिछले साल यह फैसला हुआ कि बस्तर और सरगुजा संभाग का पूरा क्षेत्र ही अनुसूचित क्षेत्र में आता है। ऐसी स्थिति में इन दोनों संभाग के संभागीय स्तर पदों पर भी स्थानीय निवासियों की भर्ती का प्रावधान रखा जाना उचित होगा। इसके बाद एक संशोधित अधिसूचना आई। इस फैसले का प्रभाव यह हुआ कि गृह विभाग, पुलिस, जेल और परिवहन विभाग से संबंधित पदों को छोड़कर शेष विभागों के जिला स्तरीय पदों पर भर्ती में स्थानीय लोगों का 100 फीसदी आरक्षण हो गया।
वहीं, आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई 14 अक्टूबर को
आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका की पहली सुनवाई की तारीख 14 अक्टूबर तय हो गई है। याचिकाकर्ता बी.के. मनीष ने बताया, कि याचिका 23 सितंबर को ही दाखिल की गई थी। इस मामले के महत्व को देखते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट हियरिंग का आग्रह किया गया था। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू.यू. ललित ने शुक्रवार शाम इसको लिस्ट करने का फैसला किया।
राज्य सरकार भी इस मामले की अपील करने वाली है। महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया है, उनका कार्यालय इस मामले में व्यापक अध्ययन कर रहा है। सरकार पूरी तैयारी के साथ सुप्रीम कोर्ट में बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देगी। इस मामले में पैरवी के लिए तीन वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी का पैनल भी तय किया जा रहा है।
सामान्य प्रशासन ने जारी किया आदेश
100 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ 141 व्यक्तियों ने अलग-अलग याचिकाएं बिलासपुर हाईकोर्ट में लगाईं। नंद कुमार गुप्ता और 140 अन्य बनाम छत्तीसगढ़ सरकार के मामले में बिलासपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरूप कुमार गोस्वामी और न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया ने 12 मई 2022 को आदेश पारित किया।
आदेश में लिखा कि बस्तर संभाग और सरगुजा संभाग के अंतर्गत आने वाले सभी जिलों और बिलासपुर संभाग के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की रिक्तियों को स्थानीय निवासियों से भरे जाने के संबंध में जारी अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के विपरीत है, इसकी वजह से इसे निरस्त किया जाता है। लंबे समय के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने शुक्रवार को पत्राचार जारी कर हाईकोर्ट के फैसले का अनुपालन करने का निर्देश दिया।
यह था मामला | बिलासपुर उच्च न्यायालय ने 19 सितंबर को अपने फैसले में छत्तीसगढ़ के 58% आरक्षण को असंवैधानिक बता दिया था। उसके साथ ही अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 32% से घटकर 20% हो गया। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% से बढ़कर 16% हो गया। यही नहीं इस फैसले से जिला कैडर का आरक्षण भी प्रभावित हुआ है। स्कूल-कॉलेजों में आरक्षण पूरी तरह खत्म हो गया है।