छत्तीसगढ़

क्या गुलाम नबी आजाद के कहने पर हुआ शशि थरूर का नामांकन! कहानी कुछ ऐसी ही है

नईदिल्ली I कांग्रेसी सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के नामांकन को लेकर राजनीतिक गलियारों में तमाम तरह की सियासी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। चर्चा यह है कि कहीं कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री शशि थरूर का पर्चा गुलाम नबी आजाद के इशारे पर तो नहीं भरा गया है। दरअसल इसके पीछे एक बड़ी वजह थरूर के प्रस्तावकों की लिस्ट है। शशि थरूर के प्रस्तावको में एक चौथाई प्रस्तावक सिर्फ जम्मू कश्मीर राज्य से हैं। हालांकि, प्रस्ताव को की लिस्ट में सबसे ज्यादा केरल के डेलिगेट शशि थरूर के प्रस्तावक बने हैं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर होने वाले चुनाव में एक साथ कई समीकरण साधे जा रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मलिकार्जुन खड़गे के नामांकन में जिस तरीके से लगातार पार्टी के भीतर रहकर विरोध करने वाले नेताओं को प्रस्तावक बनाया गया, उससे चर्चाएं यही हुई कि जी 23 का अब कोई अस्तित्व नहीं बचा। ठीक इसी तरह शशि थरूर के नामांकन में 10 प्रस्तावक जम्मू कश्मीर के होने से चर्चाएं शुरू हो गई।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि कहीं ऐसा तो नहीं शशि थरूर का नामांकन करने के लिए हाल में पार्टी छोड़ कर गए वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की कोई सिफारिश रही हो या उनके कहने पर ही शशि थरूर ने पर्चा भरा हो। दरअसल, राजनीतिक हलकों में इस बात की सबको जानकारी है कि नाराज नेताओं के धड़े में गुलाम नबी आजाद भी थे और शशि थरूर भी। शशि थरूर और गुलाम नबी आजाद की आपस में बनती भी बहुत अच्छी है, इस बात की जानकारी राजनीतिक गलियारों में अमूमन सबको है। 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जम्मू कश्मीर के बड़े नेता और पूर्व मंत्री सैफुद्दीन सोज जैसे कई बड़े नेताओं का शशि थरूर का प्रस्तावक होना इशारे कुछ और ही कर रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जो 10 कश्मीरी नेता शशि थरूर के नामांकन में प्रस्तावक बने हैं, उनमें से ज्यादातर लोग कांग्रेस छोड़कर गए गुलाम नबी आजाद के करीबी हैं। शशि थरूर के प्रस्ताव को में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे और पूर्व मंत्री सैफुद्दीन सोज शामिल है। 

शशि थरूर के प्रस्ताव को जम्मू कश्मीर के 10 प्रस्तावकों के अलावा केरल के 13 प्रस्तावक भी शामिल है, जबकि 7 प्रस्तावक तमिलनाडु के हैं। थरूर के प्रस्तावको में सैफुद्दीन सोज के अलावा कांग्रेस के कद्दावर नेता मोहसिना किदवई भी शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस के नेता मलिकार्जुन खरगे के प्रस्ताव को में जम्मू कश्मीर और केरल के प्रस्तावको की संख्या ना के बराबर है।

राजनीतिक विश्लेषक एएन सहाय कहते हैं कि खड़गे और थरूर के प्रस्तावकों की सूची से ही आपको अंदाजा हो जाएगा कि समर्थकों की सूची किसके पास ज्यादा है। सहाय कहते हैं कि हालांकि हार जीत का फैसला इस से नहीं बल्कि चुनाव से ही होना है लेकिन खरगे के प्रस्तावको में देश के अलग-अलग राज्यों के डेलीगेट शामिल है जबकि थरूर के 40 प्रस्तावको में से 30 प्रस्तावक महज तीन राज्यों से हैं। इसमें पहले नंबर पर केरल दूसरे नंबर पर जम्मू-कश्मीर और तीसरे नंबर पर तमिलनाडु के प्रस्तावक शामिल है। 

राजनीतिक विश्लेषक सरफराज अहमद कहते हैं कि एक चौथाई प्रस्तावक सिर्फ जम्मू कश्मीर से होना निश्चित तौर पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय तो बनता ही है। वह कहते हैं कि यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि शशि थरूर और गुलाम नबी आजाद की आपस में बहुत अच्छी बनती है। इसके अलावा शशि थरूर और गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के ही नाराज धड़े जी 23 से ताल्लुक रखते थे। 

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यह कहना किसी केंद्रीय स्तर के नेता के लिए बड़ा मुश्किल होता है कि उसके समर्थक देश के किसी राज्य में नहीं हो सकते लेकिन जम्मू कश्मीर से एक चौथाई समर्थकों का होना निश्चित तौर पर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को तो बढ़ा ही देता है। राजनीतिक विश्लेषक सहाय कहते हैं कि यह कहना मुफीद नहीं होगा कि शशि थरूर जैसे बड़े नेता कांग्रेस छोड़कर गए पूर्व मंत्री गुलाम नबी आजाद के कहने पर पर्चा भरेंगे। लेकिन राजनीति में संभावनाएं और कयास तो लगाए ही जाते रहते हैं। 

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि एक बात तो बिल्कुल तय है कि जब एक ही पार्टी के दो नेता एक पद के लिए चुनावी मैदान में है तो निश्चित तौर पर दोनों नेता किसी ने किसी बदलाव के लिए ही चुनाव लड़ रहे होंगे। वह कहते हैं कि राजनीति में असंभव कुछ भी नहीं होता है लेकिन हर चीज को शक की निगाह से ही देखना ठीक नहीं है। कांग्रेस पार्टी इतनी लोकतांत्रिक मूल्यों वाली ना होती तो पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए इतनी गहमागहमी भरा चुनाव नहीं कराती। 

उनका कहना है कि शशि थरूर कांग्रेस के बड़े नेता हैं और उनका अपना एक विजन है। निश्चित तौर पर उसके माध्यम से वह पार्टी को एक नई दिशा देना चाहते होंगे। तभी वह चुनावी मैदान में उतरे हैं। वह तर्क देते हैं कि संभव है कश्मीर के नेता भी उनकी विचारधारा के साथ पार्टी को नई दिशा देना चाहते होंगे इसीलिए उनके प्रस्तावक बने हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि शशि थरूर और गुलाम नबी आजाद एक विचारधारा के लिए कांग्रेस के भीतर जी 23 के धड़े में शामिल हुए थे।