छत्तीसगढ़

Coronavirus : कोरोना मृत्यु दर को लेकर ICMR के वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा, इसे बताया टीके का कमाल

नईदिल्ली I कोरोना रोधी टीके की वजह से अस्पताल में भर्ती रोगियों की मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने देश के 42 से भी ज्यादा अस्पतालों में भर्ती 30 हजार से अधिक मरीजों पर हुए अध्ययन में यह जानकारी दी है कि भर्ती रोगियों की मृत्यु दर 39 से घटकर 14 फीसदी तक दर्ज की गई है। टीका और अस्पताल में मृत्यु दर को लेकर यह अभी तक पहला चिकित्सा अध्ययन भी है।

जानकारी के अनुसार, अस्पताल में भर्ती 29,509 मरीजों को अध्ययन के लिए चयनित किया गया। इन सभी वयस्क कोरोना संक्रमित रोगियों का जब विश्लेषण किया गया तो पता चला कि 15,678 (53.1%) रोगियों में कम से कम एक सह रुग्णता थी। वहीं, 25715 रोगियों में कोरोना संक्रमण के लक्षण थे जिनमें सबसे आम यानी 72.3 फीसदी रोगियों में बुखार, 48.9 फीसदी रोगियों को सांस लेने में कठिनाई और 45.50 फीसदी को सूखी खांसी के लक्षण थे। अध्ययन के दौरान इनमें से 3957 मरीजों की मौत हुई है जिसे 14.50 फीसदी मृत्यु दर के रूप में दर्शाया गया है।

टीके से पहले जोखिम 95 फीसदी
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित होने वाले इस अध्ययन में आईसीएमआर के संक्रामक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. समीरन पांडा ने बताया कि अध्ययन के दौरान, भर्ती के समय विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सामान्य पैमाने के आधार पर जब मरीजों का विश्लेषण किया गया तो टीका देने से पहले उनकी जान का जोखिम करीब 95 फीसदी था लेकिन पहली और फिर दूसरी खुराक के बाद यह जोखिम 0.7 फीसदी तक ही दर्ज किया गया।

  • मृतकों के चिकित्सा दस्तावेजों में पता चला कि अधिकांश की आयु 60 वर्ष या उससे अधिक थी और इन्हें मधुमेह, क्रोनिक किडनी रोग, लिवर की बीमारी, तपेदिक और सांस की तकलीफ इत्यादि की परेशानी थी।

टीका ने पहले से बीमार रोगियों की भी बचाई जान
अध्ययन के अनुसार, जो लोग कोरोना संक्रमण से पहले स्वस्थ थे उनमें टीका का असर काफी बेहतर दिखाई दिया है लेकिन जो लोग संक्रमित होने से पहले किसी न किसी बीमारी से पीड़ित थे और इनमें कोरोना का जोखिम भी सबसे अधिक माना जा रहा था। कोरोना टीकाकरण कराने के बाद इन लोगों में जान का जोखिम बेहद कम हुआ है।

अध्ययन में शामिल 15678 (53.1%) मरीज संक्रमित होने से पहले किसी न किसी बीमारी से पीड़ित थे। उच्च रक्तचाप और मधुमेह की शिकायत 32.4% और 26.2% मरीजों को थी।