नईदिल्ली I तीन साल पहले जिस तरह अचानक आखिरी मौके पर सौरव गांगुली ने एंट्री मारते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष के दफ्तर को अपने नाम कर लिया था. अब तीन साल बाद करीब-करीब उसी तरह आखिरी वक्त में गांगुली से इस पद में अगले तीन साल तक रहने का मौका भी छिन गया. BCCI ने बीते कुछ दिनों में तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद मौजूदा अध्यक्ष गांगुली की छुट्टी तय हो गई है और इसने पूर्व भारतीय कप्तान को बेहद निराश कर दिया है.
24 अक्टूबर 2019 को गांगुली पहली बार BCCI के अध्यक्ष बने थे. तब उनके साथ जय शाह ने सचिव और अरुण धूमल ने कोषाध्यक्ष जैसे अहम पद हासिल किए थे. गांगुली और शाह के नेतृत्व में ही BCCI ने सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा और कुछ हफ्ते पहले ही ये केस जीतकर लगातार 6 साल (3+3) तक बोर्ड की सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ किया था, लेकिन तब गांगुली ने भी नहीं सोचा होगा कि कुछ ही दिनों में BCCI की पिच पर उन्हें ऐसी घातक यॉर्कर झेलनी पड़ेगी.
अपने दफ्तर में सिमटे गांगुली
रिपोर्ट के मुताबिक, बोर्ड में जिस तरह से हालिया कुछ दिनों में उनको दरकिनार किया गया और जिस तरह से उन्हें दोबारा अध्यक्ष बनने का मौका नहीं दिया गया, उसने गांगुली को बुरी तरह निराश कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार 11 अक्टूबर को मुंबई में BCCI के मुख्यालय में जब पदों के लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही थी, तो गांगुली पूरे दिन अपने ऑफिस में ही बैठे रहे और शाम को सबके जाने के बाद ही वहां से निकलकर सीधे अपनी कार में चल निकले.
बोर्ड के एक सदस्य के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि गांगुली मंगलवार को दफ्तर में बुरी तरह निराश और हताश नजर आ रहे थे. सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने नए अध्यक्ष के लिए रॉजर बिन्नी के नामांकन में भी हिस्सा नहीं लिया, जो कि उससे पिछले सालों में होता आया था.
गांगुली की खराब प्रदर्शन पर आलोचना
गांगुली को छोड़कर जय शाह लगातार दूसरी बार सचिव के रूप में अपनी वापसी करने वाले हैं. वहीं अरुण धूमल कोषाध्यक्ष की जगह छोड़कर IPL के चेयरमैन की जिम्मेदारी निभाने वाले हैं. जानकारी के मुताबिक, गांगुली को IPL चेयरमैन की जिम्मेदारी का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन गांगुली ने इससे इन्कार कर दिया. इतना ही नहीं, बोर्ड की हालिया मीटिंगों में ये तक कहा गया कि अध्यक्ष के तौर पर गांगुली का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा, जिस कारण उन्हें दोबारा मौका देने को कोई राजी नहीं है.