नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड के खिलाफ दायर हुई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। एनजीओ, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और अन्य याचिकाकर्ताओं की जनहित याचिकाओं पर यह पीठ सुनवाई करेगी।
एनजीओ की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने 5 अप्रैल को तत्कालीन सीजेआई एन वी रमना के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया था। इस मुद्दे को एक महत्वपूर्ण बताते हुए कहा था कि इस पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी लेकिन यह किसी अदालत के सामने नहीं आई।
राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए राजनीतिक दलों को दिए गए नकद चंदे के विकल्प के रूप में चुनावी बांड पेश किए गए हैं।
खातों में पारदर्शिता को लेकर दायर हुई थी याचिका
एनजीओ ने 2017 में राजनीतिक दलों के अवैध और विदेशी फंडिंग और सभी राजनीतिक दलों के खातों में पारदर्शिता की कमी के माध्यम से भ्रष्टाचार और लोकतंत्र की तोड़फोड़ के कथित मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की थी।
एनजीओ ने पश्चिम बंगाल और असम में विधानसभा चुनाव से पहले मार्च 2021 में एक अंतरिम आवेदन दायर किया था जिसमें मांग की गई थी कि चुनावी बांड की बिक्री की विंडो को फिर से नहीं खोला जाए।
चुनाव आयोग से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 चुनावी बॉन्ड योजना पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था और योजना पर रोक लगाने के लिए एनजीओ द्वारा एक अंतरिम आवेदन पर केंद्र सरकार और भारत के चुनाव आयोग से जवाब मांगा था।
2018 में शुरू हुई थी यह योजना
बता दें कि केंद्र सरकार ने 2 जनवरी 2018 को इस चुनावी बॉन्ड योजना की अधिसूचना जारी की थी। इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति एसबीआई से चुनावी बॉन्ड खरीद कर किसी भी राजनीतिक दलों को फंड कर सकता है। इस तरह का बॉन्ड खरीदने पर बैंक को ड्राफ्ट या चेक के जरिए भुगतान करना होता है।