नईदिल्ली I सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की युवा शाखा के सचिव और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है. उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि अगर तमिलनाडु में हिंदी थोपी गई तो पार्टी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी. चेपॉक-तिरुवल्लिकेनी के विधायक ने यहां ऐतिहासिक वल्लूवर कोट्टम के पास एक बड़े विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की ओर से लोगों की भावनाओं की अनदेखी की गई, तो पार्टी मूकदर्शक बनकर नहीं रहेगी.
उदयनिधि ने कहा कि आज का प्रदर्शन नयी शुरुआत है, लेकिन हिंदी थोपे जाने का विरोध एक दिन के विरोध और नारे लगाने से खत्म नहीं होगा. बड़ी संख्या में जुटे लोगों को संबोधित करते हुए उदयनिधि ने कहा, ‘यदि लोगों की भावनाओं को नजरअंदाज कर हिंदी थोपी गई तो विरोध प्रदर्शन तमिलनाडु के बाहर भी तेज होगा और मुख्यमंत्री की मंजूरी से इसे नयी दिल्ली तक ले जाया जाएगा.’
हाल में एक संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि तकनीकी और गैर तकनीकी उच्च शिक्षण संस्थाओं जैसे कि आईआईटी आदि में निर्देश का माध्यम अन्य दूसरे राज्यों में भी हिंदी भाषा को बनाया जाए. द्रमुक विधायकों के अलावा सांसदों ने भी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. कुछ दिन पहले स्टालिन ने केंद्र सरकार को चेताया था कि वह हिंदी को थोपकर एक और ‘भाषा युद्ध’ करने के लिए मजबूर न करे.
DMK कर रही भाषा की राजनीति
वहीं, बीजेपी ने इसे भाषा की राजनीति करार दिया है. तमिलनाडु के भाजपा नेता नारायणन तिरुपति ने कहा कि डीएमके भाषा की राजनीति कर रही है. पार्टी राज्य की कानून व्यवस्था को अनावश्यक रूप से बाधित करने की कोशिश कर रही है. झूठी सूचना फैलाकर लोगों को गुमराह करने का प्रयार किया जा रहा है. बीजेपी नेता ने सीएम स्टालिन पर भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री जिम्मेदारी के साथ काम नहीं कर रहे हैं.
भाषा युद्ध की शुरुआत न करे केंद्र
इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था कि केंद्र सरकार एक और भाषा युद्ध की शुरुआत न करे. हिंदी अनिवार्य हुई तो गैर हिंदी लोग दोयम हो जाएंगे. इसके लिए स्टालिन ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने एकता बनाए रखने का आग्रह किया था. सीएम मे कहा था कि भारत विविधताओं का देश है. यहां लोग भाईचारे के साथ रह रहे हैं. हिंदी को अनिवार्य बनाने के प्रयास छोड़ दिए जाएं. इससे भारत की एकता प्रभावित होगी.