रायपुर I मानसून के जाने से पहले दक्षिण-पश्चिम मानसून छत्तीसगढ़ में जमकर बरस रहा है। सोमवार शाम को प्रदेश के अधिकांश जिलों में मध्यम स्तर की बरसात हुई। रायपुर में डेढ़ घंटों तक मुसलाधार पानी बरसा है। इसकी वजह से सड़कों पर नाले बहने लगे। अंधड़ के साथ आई बरसात से कवर्धा सहित कई जिलों में धान की फसल गिर गई है। इसकी वजह से उनको बालियों को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
सोमवार को दिन की शुरुआत तीखी धूप से हुई। दोपहर दो बजे के बाद मौसम बदलना शुरू हुआ। दक्षिण से बादल घिरने शुरू हुए। साढ़े तीन बजे तक ये बादल पूरे शहर पर छा गये। पौने चार बजे से साढ़े पांच बजे तक मूसलाधार बरसात हुई। इसकी वजह से सड़कों पर विजिबिलिटी बेहद कम हो गई थी। इसकी वजह से सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही भी कम हो गई थी। बाद में देर तक रिमझिम बरसात होती रही। इस बरसात की वजह से कई जगह सड़कों पर जल भराव हुआ है। निचली बस्तियों में पानी भर जाने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बाजारों में लोग दुकान नहीं लगा पाए। इसकी वजह से दिक्कतें बढ़ी हैं। प्रदेश में सरगुजा और बस्तर संभाग के कुछ जिलों को छोड़कर यह बरसात हर जिले में हुई है। मौसम विज्ञान विभाग का कहना है कि रात में बस्तर संभाग के जिलों में तेज बरसात हो सकती है।
अभी बिलासपुर तक हटा है मानसून
मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून की विदाई रेखा लुमडिंग, कैलाशहर ,बहरामपुर, कान्के, बिलासपुर, ब्रह्मपुरी, बुलढाणा और दहानू तक है। अभी मानसून की विदाई की अनुकूल परिस्थितियां बनी हुई हैं। इसकी वजह से अगले दो दिन में प्रदेश के कुछ और भागों से मानसून की विदाई संभव है।
खाड़ी से आ रही नमी ने बनाया बरसात का माहौल
मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा ने बताया, प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से पर्याप्त मात्रा में नमी आ रही है। इसके कारण मध्यम स्तर की बरसात की संभावना कई इलाकों में बनी हुई है। मंगलवार को भी एक-दो स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज-चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज चमक के साथ वज्रपात भी हो सकता है।
फसलों को भारी नुकसान
लगातार बारिश होते रहने से सब्जियों की खेती को काफी नुकसान पहुंचा है। उद्यानिकी अधिकारियों का कहना है कि सब्जियों की खेती में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। उसके लिए नमीदार मिट्टी की जरूरत होती है। लगातार बारिश होने से फसलें खराब हो रही है। वहीं धान की फसल को अभी कोई नुकसान नहीं बताया जा रहा है।
इस महीने की बरसात के खतरे अधिक
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अक्टूबर महीने में जो बादल बनते हैं, उनके साथ खतरे कुछ अधिक हैं। इसमें बिजली गिरने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में खुले आसमान के नीचे काम कर रहे लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। बरसात के साथ बवंडर उठता है। इससे कच्चे मकानों और फसलों, पेड़ों और फलों को नुकसान पहुंचता है। छत्तीसगढ़ में इसी महीने से धान की कटाई शुरू होती है। पानी बरसने से फसल गीली हो जाती है और उसमें अंकुरण होने लगता है।