नई दिल्ली। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शराबी पत्नी की हत्या करने के आरोपी को बरी कर दिया। अदालत ने आरोपी को जेल से रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि उसने गैर इरादन हत्या की है। हाईकोर्ट ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष आरोपी के हत्या करने के इरादे की व्याख्या करने में सक्षम नहीं है। आरोपी को पत्नी की हत्या करने के लिए उकसाया गया।’
खाना न बनाने पर की पत्नी की हत्या
गौरतलब है कि आरोपी ने खाना न बनाने पर अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा, अभियोजन पक्ष के साक्ष्य से पाया गया है कि महिला ने खाना तैयार नहीं किया। इससे आरोपी गुस्सा हो गया और उसने अपनी पत्नी पर हमला कर दिया। इसलिए आरोपी का कथित कार्य भारतीय दंड संहिता की धारा 300 के अपवाद-1 के दायरे में आता है। हाईकोर्ट ने कहा कि महिला की मौत गैर इरादन हत्या थी, जो हत्या के बराबर नहीं थी।
2017 में खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
बता दें, चिक्कमगलुरु जिले के मुदिगेरे के सुरेश ने 2017 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसकी अपील पर न्यायमूर्ति के सोमशेखर और न्यायमूर्ति टीजी शिवशंकर गौड़ा की खंडपीठ ने अपील पर सुनवाई की। निचली अदालत ने सुरेशा को हत्या का दोषी ठहराते हुए नवंबर 2017 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
पत्नी को सोता हुआ देखकर की पिटाई
सुरेश की पहली पत्नी का नाम मीनाक्षी है, जिससे वह अलग रह रहा था। उसने राधा नाम की महिला से शादी कर ली, जो अपने पति से अलग रह रही थी। सुरेश और राधा के दो बच्चे हैं। 2016 में सुरेशा एक त्योहार के दिन काम से वापस आया तो उसने देखा कि घर पर जश्न का माहौल नहीं है और पत्नी सो रही है, जिस पर उसने उसे बुरी तरह पीटा। पत्नी को शराब पीने की आदत थी।
हाईकोर्ट ने आरोपी को रिहा करने का दिया आदेश
हाईकोर्ट ने निचली अदालत की सजा के आदेश को संशोधित करते हुए सुरेश को आईपीसी की धारा 302 के बजाय आईपीसी की धारा- ।। (गैर इरादन हत्या) के तहत दोषी ठहराया। अदालत ने कहा कि 6 साल 22 दिन की अवधि आईपीसी की धारा 3024 के भाग-1 के तहत दंडनीय अपराध के लिए पर्याप्त है। इसलिए उसे तुरंत रिहा किया जाए।